मौत की आहट (गज़लनुमा गीत)
(सौजन्य-गूगल)
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प्यारे दोस्तों,
मैं आज भी संगीत जगत में एक शिष्य हूँ, अतः बड़े ही विनम्र भाव से, मैं मेरी एक गज़लनुमा गीत-रचना, मेरे ही स्वरांकन-संगीतबद्ध करके पेश कर रहा हूँ ।
गीतकार-स्वरांकन-संगीत-गायक-मार्कंड दवे ।
स्वरायोजन-प्रसुन चौधरी.
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मौत की आहट (गज़लनुमा गीत)
DOWNLOAD LINK-
http://www.4shared.com/audio/Z30y-312/maut_ki_aahat.html
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हर साँस मे मौत की आहट सुनाई देती है ।
ज़िंदगी अब तो गिन-गिन के बदला लेती है ।
ज़िंदगी अब तो गिन-गिन के बदला लेती है ।
१.
ज़िंदगी जीने मे जो माहिर माने जाते थे ।
उनको अब जीने की रीत देखो सिखाई जाती है ।
हर साँस मे ...................
उनको अब जीने की रीत देखो सिखाई जाती है ।
हर साँस मे ...................
२.
बेआबरु न हो कोई, मैं तो खामोश रहता था ।
कहानी मेरी ही अब मुझ को सुनाई जाती है ।
हर साँस मे ...................
३.
मुआफ़ करना गुस्ताख़ी अगर हो कोई ।कहानी मेरी ही अब मुझ को सुनाई जाती है ।
हर साँस मे ...................
३.
आखरी ख़्वाहिश सभी से तो पूछी जाती है ।
हर साँस मे ...................
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/05/blog-post_9627.html
मार्कड दवे । मई -२३.२००९.
1 comment:
बहुत ही अच्छा गाया है आप ने.
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