Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

15.8.11

स्वतन्त्रता दिवस पर जानें पूरे राष्ट्र गान को

जन-गण-मन अधिनायक जय हे,भारत-भाग्य-विधाता ।
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा,द्राविड़ उत्कल बंग ।
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा,उच्छल जलधि तरंग ।
तव शुभ नामे जागे,तव शुभ आशिष माँगे;गाहे तव जय गाथा ।
जन-गण मंगलदायक जय हे,भारत-भाग्य-विधाता ।
जय हे ! जय हे !! जय हे !!!जय ! जय ! जय ! जय हे !!
 
अहरह तव आह्वान प्रचारित, शुनि तव उदार बाणी ।
हिन्दु बौद्ध शिख जैन पारसिक, मुसलमान ख्रिस्तानी ।
पूरब पश्चिम आसे, तव सिंहासन पाशे; प्रेमहार जय गाँथा।
जन-गण-ऐक्य-विधायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता ।
जय हे, जय हे, जय हे,जय जय जय, जय हे ।।
 
पतन-अभ्युदय-वन्धुर-पन्था, युग-युग-धावित यात्री ।
हे चिर सारथि,तव रथचक्रे, मुखरित पथ दिन रात्री ।
दारुण विप्लव-माझे, तव शंखध्वनि बाजे, हे संकटदुःखत्राता ।
जन-गण-पथ-परिचायक जय हे,भारत-भाग्य-विधाता ।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय, जय हे ।।
 
घोर तिमिरघन निविड् निशीथे, पीङित मूर्च्छित देशे ।
जागृत छिल तव अविचल मंगल,नत नयने अनिमेषे ।
दुःस्वप्ने आतंके, रक्षा करिले अंके, स्नेहमयी तुमि माता ।
हे जन-गण-दुःखत्रायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता ।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय, जय हे ।।
  रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि, पूर्ब-उदयगिरिभाले ।
गाहे विहंगम, पुण्य समीरण, नवजीवनरस ढाले ।
तव करुणारुणरागे, निद्रित भारत जागे, तव चरणे नत माथा ।
जय जय जय हे, जय राजेश्वर !! भारत-भाग्य-विधाता ।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय, जय हे ।।

                      -रवींद्र नाथ टैगोर

 

No comments: