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18.9.11

नरेन्द्र मोदी और सद्भभावना मिशन


नरेन्द्र मोदी एक ऐसा नाम जिसे आगामी प्रधानमंत्री चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। इस दावेदारी को हवा तब मिली जब अमरीका कांग्रेस ने मोदी के नाम पर मोहर लगा दी। मौके का फायदा उठाने के लिए नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन १७ सितम्बर से तीन दिवसीय सद्भावना मिशन कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान वो उपवास पर भी रहेंगे। सद्भावना मिशन का उद्देश्य सभी धर्मों, वर्गों और समुदायों को एक कर साथ चलने का है। मोदी ने ये कार्यक्रम गुजरात विश्वविद्यालय के हॉल में आयोजित किया। सद्भभावना मिशन के इस मंच से सबका साथ सबका विकास नाम का नारा दिया गया। यहां पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में बढ़ते विकास की और सबका मन आकर्षित किया। मंच से उन्होंने राज्य के साथ देश के विकास की भी बात कही। मोदी ने भारत को विश्व में ऐसा मॉडल बनाने की पेशकश की जिसका अनुसरण सभी देश करें। मोदी आमतौर पर गुजराती में भाषण देते है, लेकिन सद्भावना मिशन में उन्होंने हिन्दी में सम्बोधन किया। जाहिर है वो यहां देश के सामने अपनी बात रख रहे थे। गाहे-बगाहे अब अटकलें लगाई जा रही है कि मोदी आगामी २०१४ के प्रधानमंत्री चुनाव में भाजपा की ओर से मजबूत उम्मीदवार हो सकते है। इस सम्बन्ध में वर्तमान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी हफ्तें में ३ बार इस ओर इशारा किया है। आडवाणी ही नहीं, अरूण जेटली, राजनाथ सिंह, अरूण शौहरी जैसे कई दिग्गज नेता इशारों इशारों में मोदी को अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखते है। सद्भावना मिशन मंच पर दक्षिण भारत से जयललिता के नुमाइंदे, पंजाब से स्वमं अकाली दल के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और शिवसेना के बाला साहब ठाकरे के नेताओं का समर्थन देखने को मिला। गुजरात में मोदी के शासन को १० साल हो गए है। यकीनन अब उनकी निगाहें दिल्ली की ओर हो सकती है।
वहीं दूसरी ओर गुजरात कांग्रेस के नेता शंकर सिंह वघेला और अर्जुन मोडवाडिया ने मोदी के सद्भावना मिशन को नाटक बताकर उन्हें २००२ में गुजरात दंगों का दोषी ठहराया है। अर्जुन मोडवाडिया ने तो नरेन्द्र मोदी की तुलना तानाशाह हिटलर, सद्दाम हुसैन और मुहम्मर गद्दाफी से की है। साबरमती में गांधी आश्रम के समीप गुजरात कांग्रेस कार्यकर्तोओं ने भी तीन दिवसीय उपवास का फैसला किया हुआ है। शंकर सिंह वघेला ने कहा कि इस कार्यक्रम में वो मोदी की वास्तविक सच्चाई से पर्दा उठाएंगे और देश की जनता के सामने मोदी का मखौटा उतारेंगे।
बहरहाल ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए? तमाम आरोपों प्रत्याशियों के बावजूद नरेन्द्र मोदी की साख सकारात्मक दिशा में दिख रही है। क्योंकि गुजरात विश्वविद्यालय में चल रहे सद्भावना मिशन में अल्पसंख्यकों का भी बड़ा हुजुम देखने को मिल रहा है। जो यकीनन कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।

1 comment:

रविकर said...

उपवास का सुवास हो, और अधिक पास हो,
आस भरा विश्वास हो, दंगा वह भूलिए |

भागलपुर भागते, देहली दहलात के ??
घात पे प्रतिघात के, पाप पूरे धो लिए ??

अंगुलिमाल-वाल्मीकि, भूलो मत यह सीख
गांधीजी की क्षमा नीति, घोलकर पी लिये |

प्रयास का उपहास, कांगरेस है निराश
गिरेबान देख झांक, चौरासी भी खोलिए ||