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28.9.11

अप्रिय कवितायेँ

अप्रिय कवितायेँ
[एक ]
हमलावर , कुछ भाग गए ,
कुछ मरे गए
इस एक को हमने जिंदा पकड़ लिया
ह्मिसका क्या करें ?
सोचते है , यदि यह भी मारा गया होता तो ---
हम इसका क्या कर पाते ?
हम इसको लेकर क्यों चिंतित होते ?
पर यह तो जिंदा बच गया हमारी बंदूकों से
अब हम इसे भगायेंगे , मरेंगे
इसे हम जिंदा अपने पास रखेंगे
इसे हिन्दुस्तानी बनाएँगे
समस्या है , हम उनको क्या मुँह दिखाएँ
जिनके परिवारों को इसने नष्ट किया ?
हम शर्मिंदा हैं ,क्षमा प्रार्थी हैं इसके लिए
की इस एक आदमजात , मानव संतान को
हमारा धर्म इंसानियत नहीं सिखा पाया ,
इंसान नहीं बना पाया !क्यों हम ऐसे धर्म
ऐसी शिक्षा दीक्षा -परवरिश को ही मार डालें ?
हमें नहीं चाहिए मनुष्य के लिए ऐसा ढांचा ,
लेकिन मनुष्य तो चाहिए
हम इस एक व्यक्ति को मार कर क्या पायेंगे
इसे जिंदा रखकर
शायद कुछ पायें !

शीर्षक - मजहब से घृणा करो , ऐसे मज़हब से ,
वैसे मज़हब से , सभी मज़हब से
थुड़ी अभियान है हमारा - मज़हब के खिलाफ
जो ऐसे इंसान बनाता है कि वह
इंसानों को मारने लगता है

शीर्षक -थुड़ी अभियान - मज़हब के खिलाफ
केवल एक कोर्ट नहीं
सारा देश सजा दे अजमल कसाब को
उसे मारकर नहीं
[उसे अकेला जल्लाद भी मार सकता है ]
उसके मज़हब पर थूक कर , जिससे
उसके मज़हब को भी सजा मिले और थूकने वाला
अपने भी मज़हब पर कड़ी नज़र रखे
यह हासिल होगा आन्दोलन का
वरना उसका मृत्यु दंड हमें कोई लाभ देगा । #
[कसाब से समाज विज्ञानियों /एन जी ओं को यह बयान लेना चाहिए कि वह ऐसा कसे बना ? उसे ऐसा किसने बनाया ? तो उस मूल स्रोत पर भी सजा मुक़र्रर किया जाए । ]

*[दो ]
अजमल दोषी हो गया
क्योंकि वह
पकड़ में गया ,
और जो पकड़ में नहीं आये
वह मज़हब , वे मज़हबी
उन्हें क्या सजा दे रहे हो तुम
और तुम्हारी कचहरी ? #

* [तीन ]
अजमल तो एक खंभा है
और खिसियाने हो तुम
नोचो , खिसियानी बिल्ली !
खम्भा नोचो । #
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