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23.9.11

भेड़िये का उपवास !

आममुग्धता के गानों से
भाट-चारणों की तानो से
अंधेर नगरी की सूरत नहीं बदलती।


चढ़ा
लो अहं की इमारतें
बिछा दो नफरत की सड़कें
और लगा लो मेले
मासूमो की कब्रों पर
फिर दे दो 'बेशर्म विनाश' को
'विकास' का नाम
पर इतना लो जान

'वाईब्रेंट' का बोर्ड लगाने भर से
मरघट की हकीकत नहीं बदलती।

भेड़िया चंद रोज़ कर सकता है
शिकार से नागा, पर उसकी
कभी खूँरेजी फितरत नहीं बदलती।

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