26 सितम्बर की शाम को मध्य प्रदेश के गवर्नर के सम्मान में भोज हुआ. इस सरकारी भोज में आमंत्रित अधिकारी, मंत्री और चुनिन्दा बीस पत्रकारों को ही बुलाया गया .
सी एम् के यहाँ नव नियुक्त प्रेस अधिकारी जो सयुंक्त संचालक के पद पर काम कर रहे है, ने भोपाल के केवल बीस पत्रकारों को बुलाकर बाकी के श्रेष्ठ और जयेष्ट पत्रकारों की लोबी को अप्रसन्न किया है
ऐसा लगता है प्रदेश सरकार में अबके प्रेस सलाहकार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह उन्हें ले डूबेगे जो चुनिन्दा संपादको से प्रेस वाटर के बाद बेकफुट पर आ गए.
भूपेन्द्र गौतम जो पहले इंदौर में पदस्थ थे वे मुख्यमंत्री के नजदीक आने के हर तरह के हथकंडे पहले से ही अपनाते रहे है पूर्व में जहा वे पदस्थ थे वहा भी सी एम् की खबरों वाले अखबारों को सी एम् को दिखाने से नहीं चूकते थे. अंततः अपनी चाटुकारिता के चलते वे सी एम् कार्यालय पहुच ही गए.
अब लगता है वे शिवराज सिंह को ले डूबेगे...?
भूपेन्द्र गौतम कार्यक्रमों में सी एम् से अपनी नजदीकिया दिखाने के लिए जानबूझकर बार-बार कान में जाकर कुछ कहते है. दरअसल वह भीड़ को यह बताना चाहते है की मुख्यमंत्री के एक मात्र वही नजदीक है. उनकी इस हरकत से समूचा सचिवालय और जनसंपर्क परेशान है.
इनको न तो समाचारों की समझ है और न ही भोपाल के पत्रकारों की पहचान. मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री का जनसंपर्क कार्यालय कुछ इसी गैरजिम्मेदार अंदाज में इस समय चलाया जा रहा है.
अगर राकेश श्रीवास्तव की बात करे तो वे भी उद्योग विभाग में उद्यमिता करके आई ऐ एस बने है और इसके पहले इन्दोर कलेक्टर रहे
इन्ही दोनों ने मिलकर भोपाल के बीस पत्रकारों की सूची बनायी और प्रमुख पत्रकारों को छोड़ दिया.
इस कार्यक्रम में बड़े पत्रकारों के अलावा बड़े वाले पत्रकारों को ही बुलाया गया.
पत्रकारों के साथ इस भेदभाव से उनमे असंतोष है. जब सी पी आर महोदय से फ़ोन पर बात करने की कोशिश की गयी तो वे अपना मोबाइल स्विच आफ किये हुए थे.
इस सम्बन्ध में एक पत्रकार अखिलेश उपाध्याय ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी माँगी है जिसमे निम्न सवाल पूछे गए है -
1 राज्यपाल महोदय के सम्मान में आयोजित भोज में कुल कितने लोगो को आमंत्रण दिया गया और इसमें कितने लोग पहुचे ?
2 भोपाल के पत्रकारों की सूची किसने तय की ?
3 इस कार्यक्रम में कुल कितना खर्च हुआ ?
अमूमन अब तक की परंपरा में सभी श्रेष्ठ पत्रकारों को बुलाया जाता रहा है जबकि इसमें टाईम्स आफ इंडिया और दैनिक भास्कर जैसे समूह के पत्रकारों और एनी बड़े बेनर के खबरचियो को भी नहीं बुलाया गया.
अब जब प्रश्न उठ रहे है तो जनसंपर्क कमिश्नर फिर मुह लुकाते क्यों घूम रहे है ?
असल में भूपेन्द्र गौतम नाम के व्यक्ति को पता ही नहीं है की भोपाल में कितने पत्रकार है और किसे तवज्जो देना चाहिए किसे नहीं.
ऐसे में फिर ख़ाक मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री का पी आर बनेगा ...? सी एम् के प्रेस अधिकारी पी आर बनाने की जगह बिगाड़ने पर तुले है और राज्यपाल के सम्मान में दिए गए इस भोज से आक्रोशित पत्रकार अगर अपनी पर आ गए तो शिवराज सरकार के लिए बहुत भारी पड़ेगा.
ऐसा लगता है प्रदेश सरकार में अबके प्रेस सलाहकार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह उन्हें ले डूबेगे जो चुनिन्दा संपादको से प्रेस वाटर के बाद बेकफुट पर आ गए.
भूपेन्द्र गौतम जो पहले इंदौर में पदस्थ थे वे मुख्यमंत्री के नजदीक आने के हर तरह के हथकंडे पहले से ही अपनाते रहे है पूर्व में जहा वे पदस्थ थे वहा भी सी एम् की खबरों वाले अखबारों को सी एम् को दिखाने से नहीं चूकते थे. अंततः अपनी चाटुकारिता के चलते वे सी एम् कार्यालय पहुच ही गए.
अब लगता है वे शिवराज सिंह को ले डूबेगे...?
भूपेन्द्र गौतम कार्यक्रमों में सी एम् से अपनी नजदीकिया दिखाने के लिए जानबूझकर बार-बार कान में जाकर कुछ कहते है. दरअसल वह भीड़ को यह बताना चाहते है की मुख्यमंत्री के एक मात्र वही नजदीक है. उनकी इस हरकत से समूचा सचिवालय और जनसंपर्क परेशान है.
इनको न तो समाचारों की समझ है और न ही भोपाल के पत्रकारों की पहचान. मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री का जनसंपर्क कार्यालय कुछ इसी गैरजिम्मेदार अंदाज में इस समय चलाया जा रहा है.
अगर राकेश श्रीवास्तव की बात करे तो वे भी उद्योग विभाग में उद्यमिता करके आई ऐ एस बने है और इसके पहले इन्दोर कलेक्टर रहे
इन्ही दोनों ने मिलकर भोपाल के बीस पत्रकारों की सूची बनायी और प्रमुख पत्रकारों को छोड़ दिया.
इस कार्यक्रम में बड़े पत्रकारों के अलावा बड़े वाले पत्रकारों को ही बुलाया गया.
पत्रकारों के साथ इस भेदभाव से उनमे असंतोष है. जब सी पी आर महोदय से फ़ोन पर बात करने की कोशिश की गयी तो वे अपना मोबाइल स्विच आफ किये हुए थे.
इस सम्बन्ध में एक पत्रकार अखिलेश उपाध्याय ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी माँगी है जिसमे निम्न सवाल पूछे गए है -
1 राज्यपाल महोदय के सम्मान में आयोजित भोज में कुल कितने लोगो को आमंत्रण दिया गया और इसमें कितने लोग पहुचे ?
2 भोपाल के पत्रकारों की सूची किसने तय की ?
3 इस कार्यक्रम में कुल कितना खर्च हुआ ?
अमूमन अब तक की परंपरा में सभी श्रेष्ठ पत्रकारों को बुलाया जाता रहा है जबकि इसमें टाईम्स आफ इंडिया और दैनिक भास्कर जैसे समूह के पत्रकारों और एनी बड़े बेनर के खबरचियो को भी नहीं बुलाया गया.
अब जब प्रश्न उठ रहे है तो जनसंपर्क कमिश्नर फिर मुह लुकाते क्यों घूम रहे है ?
असल में भूपेन्द्र गौतम नाम के व्यक्ति को पता ही नहीं है की भोपाल में कितने पत्रकार है और किसे तवज्जो देना चाहिए किसे नहीं.
ऐसे में फिर ख़ाक मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री का पी आर बनेगा ...? सी एम् के प्रेस अधिकारी पी आर बनाने की जगह बिगाड़ने पर तुले है और राज्यपाल के सम्मान में दिए गए इस भोज से आक्रोशित पत्रकार अगर अपनी पर आ गए तो शिवराज सरकार के लिए बहुत भारी पड़ेगा.
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