Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

26.9.11

यह तो कहिये

0 यह तो कहिए कि बहुत से लोग किसी नीति पर क़ायम नहीं रहते , वरना वे पगला जाँय और उनका हर किसी से झगड़ा हो जाय ।
0 जनता ¿ कौन सी जनता है जिसे आप लोकतंत्र के पक्ष में लाने का दम भरते हैं ¿
0 भुक्खड़ देश में ईमानदारी ¿ पहले भूख का इलाज करो ।
0 अपने प्रायवेट बाथरूम में भी कोई बाल साफ करने का क्रीम खुले में नहीं रखता ।
0 मुझे अब लिखकर रखना पड़ रहा है कि इस उम्र में मुझे अब अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है । खाने-पीने में, चलने-फिरने में,सड़क पार करने में । (व्यक्तिगत)
0 मैं बहुत कोशिश करता हूँ गालियाँ उचारने की , लेकिन ज़ुबान गंदा करना मुझसे हो नहीं पाता ।
जबकि , मैं स्वीकार करता हूँ कि मेरे भीतर गुस्सा बहुत है , और मैं जन-जग जीवन से बहुत आहत रहता हूँ । (व्यक्तिगत)
* कामकाजी औरतों की लोग बड़ी आलोचना करते हैं लेकिन वे ज़रा गृह सीमित औरतों का भी तो काम -काज देखें उनके पास आपस में सिवा पंचायत करने और छिद्रान्वेषण - दोषारोपण के अतिरिक्त और काम क्या होता है ? और क्या वह कम अशुभ होता है उस काम से , जो काम काजी औरतें करती हैं ?
* केवल सुन्दरता से काम चल जाता तो क्या था ? ##

No comments: