रेलवे का राजभाषा पखवारा-2011 सम्पन्न
जख्म तो मिलते हैं पर दवा नहीं मिलती
पूर्व मध्य रेलवे मुगलसराय मण्डल के प्लांट डिपो इंजिनीयरिंग कारखाना के तत्वाधान में 14 से 21 सितंबर तक हिन्दी पखवारा-2011 मनाया गया। पखवारा के समापन समारोह में 21 सिंतंबर को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें हिन्द प्रदर्शनी, गीत-संगीत व कवि सम्मेलन शामिल है।
कवि सम्मेलन का आगाज मुख्य कारखाना प्रबन्धक राजेश कुमार अग्रवाल ने मां सरस्वती के तैलचित्र पर माल्यर्पण व द्वीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद गोरखपुर दूरदर्शन के मोहन तिवारी ने सरस्वती वंदना सहित विभिन्न भजनों से दर्शकों का मन मोहा। कार्यक्रम की अगली कड़ी में युवा कवि व षायर एम. अफसर खां ‘सागर’ ने अपनी रचना आजकल के लोगों में वफा क्यों नहीं मिलती, जख्म तो मिलते हैं मगर दवा नहीं मिलती व महलों में रहने वाले फुटपाथों का दर्द न जाने, बदहाली की इस सुरत को कैसे भला विकास लिखूंगा सुनाकर वर्तमान सामाजिक परिवेष पर कटाक्ष किया। कवि विजय बुद्धिहीन ने हिन्दी हिन्दुस्तान हमारा हमको है प्राणें से प्यारा और मुस्लिम फकीर, पीर ने काषी को संवारा; तुलसी, कबीर, सूर ने अल्लाह को पुकार सुनाकर समप्रदायिकता पर करारा प्रहार किया। वाराणसी से आये नागरी प्रचारणी पत्रिका के संपादक ब्रजेष चन्द पाण्डेय ने जहां गांधी को भी गोली मारी गयी; कोई अन्ना हजारे को क्या समझाए, भ्रष्टाचार की जड़ तो इस हिमालय में है किसी की हिम्मत है जो इस हिमालय पर आये सुनाया। इलाहाबाद से आये हास्य कवि डा0 अनिल चौबे ने जितनी दाल रोटी पाकिस्तान खाता है; उतनी की बिहारी खैनी थूक देते हैं व लालू राबड़ी जो इस्लामाबाद चले जायें तो इस्लामाबाद भैंस का तबेला बन जाएगा और पाक की हिना है कभी रंग नहीं ला सकेगी, हाथ लगाओगे विस्फोट कर जायेगी सुनाकर श्रोताओे को हंसे पर मजबूर कर दिया।
इस दौरान राजेश कुमार अग्रवाल ने उपस्थित लोगों से आहवाहन किया कि हम अपनी राज भाषा को दिल से अपनायें। हिन्दी हमारी सभ्यता व संस्कृति से जुड़ी है। इसकी रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। अब वक्त आ गया है कि हिन्दी का विस्तार विष्व स्तर पर किया है। प्लाण्ट डिपो के अधिशासी इंजिनीयर विजय कुमार मिश्र ने आये हुए लोगों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
No comments:
Post a Comment