दिल्ली। अभी तक आपने जितने भी फार्म भरे होंगे उसमें आपको 2 ही ऑप्शन मिलते थे। पहला मेल और दूसरा फीमेल। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एक नई शुरुआत की है। ऑस्ट्रेलिया के पासपोर्ट में मेल और फीमेल के अलावा तीसरा जेंडर होगा जो थर्ड जेंडर यानि ट्रांस जेंडर के लिए होगा। यह कदम ट्रांस जेंडर के खिलाफ हो रहे भेदभाव को मिटाने के लिए उठाया गया है। अब वे लोग जो मेल और फीमेल की श्रेणी में नहीं आते हैं वे इस कॉलम पर निशान लगा कर खुद को अलग से एक समुदाय बना सकेंगे।ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री केविन रूड ने बतया कि पासपोर्ट कार्यालय की तरफ से नई गाइड लाइन जारी कर दी गई हैं। इसके लिए संविधान में भी संशोधन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम भी चाहते हैं कि थर्ड जेंडर को उनके मौलिक अधिकार मिलें। ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर लुइस प्रेट जिनकी पार्टनर ट्रांस जेंडर से संबंधिंत हैं ने बताया कि थर्ड जेंडर को पहचान देने के लिए यह कदम बहुत जरूरी था। हर किसी को अपना सेक्स चुनने का मानव अधिकार है। उन्होंने कहा कि पासपोर्ट में ट्रांस जेंडर को जगह देकर एक ऐसा अधिकार दिया गया है जिसके हकदार वे काफी समय से थे।ऑस्ट्रेलिया सरकार के इस कदम के बाद भारत में भी इस तरह की मांग उठने लगी है। भारत में ट्रांस जेंडर के लिए काम करने वाली संस्था सैयद शाह फरजंद अली एजुकेशन एंड सोशल फाउंडेशन आफ इंडिया (सिस्फा इस्फी) के सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश के बरेली शहर के रहने वाले डॉक्टर एसई हुदा कहते हैं कि जिस तरह का अधिकार ऑस्ट्रेलिया में किन्नरों को दिया गया है वैसा ही अधिकार भारत में इन लोगों को मिलना चाहिए। किन्नरों के लिए काम करने वाली इस संस्था ने ही भारत में किन्नरों को मतदाता सूची में अलग स्थान दिलवाना और जनगणना में अलग कोड जोकि कोड 3 का हक दिलवाया है। यूआईडी में भी ट्रांस जेंडरों को अलग कैटेगरी में रखने का हक दिलवाया है!
16.9.11
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