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22.9.11

बरस ने दो



आज बरस के बरसात बरस ने दो
भरा जो गुब्बार बह जाने दो
हो जाने दो खाली आज इन काले बदलो को
मायूसी को आज बरसने  दो ...
हाँ ...इसी से कोई बंजर ज़मी लहराई होगी ...
हाँ ...इसी से कोई कलि खिलखिलाई होगी ,
इसी मायूसी से कोई बादल बना होगा
 
फिर किसी की फ़िक्र में उमड़ा आज बरसात को ...
आज इसे बरसने दो ...
मेरे दिल को जी भर कर रोने दो ...
क्या पता किसी की दुआ का असर होगा
जो इन अश्को का बहना होगा ...
इस बरसात को बरसने दो मेरे अश्को को आज बहने दो ...बहने दो ...,

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