बीती 6 जुलाई को मैंने बिल डेस्क पर हाउस टैक्स के रु० 797 का पेमेंट नगर निगम को न पहुँचने की एक शिकायत दर्ज की। फ़ौरन ही मेरे पास एक कॉल आई जिसमे कॉल करने वाले ने कहा कि आपके रु० 797 रिफंड करने के लिए आपके एटीएम कार्ड नंबर की जरुरत है साथ ही यहाँ से भेजा पिन आप हमें बतायें, ये कॉल बिल डेस्क से आई समझ के मैंने ये जानकारियां उसे दे दीं, जिसके फ़ौरन बाद उसने रु० 23555 मेरे खाते से निकाल लिए और ईबे (E-bay) को भेजकर ऑनलाइन शॉपिंग कर ली. दरअसल बिल डेस्क कस्टमर केयर नाम से ये साइट ही फ़र्ज़ी थी। इसका URL था www.consumercomplaints.in. घटना की जानकारी उसी दिन ईबे के कॉल सेंटर पर मैंने दे दी. अगले दिन स्थानीय साइबर सेल और थाने में भी लिखित तहरीर देने के साथ ही बिल डेस्क की आधिकारिक साइट पर पब्लिक ग्रीवांस को सूचना दी।
प्राइवेसी के नाम पर ईबे कम्पनी ने ठगी करके शॉपिंग करने वाले ग्राहक का विवरण देने से इंकार कर दिया । लेकिन बिल डेस्क मदद को आगे आई, उस के अधिकारी जतिन सिंह ने 10 जुलाई की शाम उसका पूरी डिटेल मुझे मेल कर दी। इसके मुताबिक ठगी करने वाले इस साइबर अपराधी का विवरण था: नाम - मनोहर वडेपल्लि पता - 321 / 21 नाड़े नगर, कालेवाडी, पिम्परी चिंचवड (पुणे) महाराष्ट्र। । फ़ोन: 9975110876 9096789323 उसके द्वारा इस्तेमाल किये गए अन्य नंबर नम्बर : 7387546961, 9792160153, 9564653292 Mail id djdjshiv@gmail.co djdjsagar@gmail.com.
इसके मुताबिक उसने रु० 23555 से सैमसंग गैलक्सी ए 7 डबल सिम एंड्राइड फोन आर्डर किया था. ये भी पता चला कि प्रोडक्ट 6 जुलाई को ही फरीदाबाद से रवाना होकर ब्लू डार्ट कोरियर द्वारा पहुँचाया जा रहा है और डिलीवरी 11 जुलाई को होगी। किसी भी हालत में फोन के डिलिवरी रोकने के लिए मैंने मामले की जानकारी पुणे की साइबर सेल के इंस्पेक्टर श्री जी पी पवार के अलावा पिम्परी की क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर श्री सपकाले को दी। उन तक पहुँचने में एक मराठी दैनिक सकळ के पत्रकार श्री संदीप घिसे ने मेरी मदद की। साथ ही ब्लू डार्ट कोरियर को भी सारी जानकारी व प्रमाण मेल भेजकर प्रोडक्ट की डिलीवरी रोकने का अनुरोध किया जिसे उनके चेन्नई मुख्यालय ने स्वीकार कर प्रोडक्ट को 11 जुलाई को अपने पिम्परी ऑफिस में 'ओन होल्ड' कर दिया। दूसरी तरफ दोनों पुलिस अधिकारीयों की बेहद सक्रियता से मनोहर वडेपल्लि को लगा कि वो पुलिस के फंदे में फंस चुका है, वो हैदराबाद चला गया और वहीँ से उसने 15 जुलाई को कोरियर को फोन करके डिलीवरी लेने से इंकार कर दिया। जिसके बाद 24 जुलाई को प्रोडक्ट वापस होकर विक्रेता के पास फरीदाबाद पहुंचा और 28 जुलाई को रु० 23555 मेरे खाते में रिफंड हुए। ये एक दुर्लभ संयोग ही था कि मुझे उपरोक्त महानुभावों का सहयोग प्राप्त हुआ और धनराशि वापस हो सकी। मैं इनका हमेशा आभारी रहूँगा।
मनोहर वडेपल्लि अभी पुलिस की गिरफ्त से दूर है। उसकी अंतिम लोकेशन 15 जुलाई को हैदराबाद में ट्रेस हुई थी। उसकी फर्जी साइट भी कार्यरत है जिस पर लोगों को ठगने का क्रम भी हो सकता है जारी हो । ये एक कई राज्यों में सक्रिय interstate गैंग है, समस्त जानकारी मैंने गृह मंत्रालय नई दिल्ली व हैदराबाद पुलिस को भी भेजी है व पुलिस के साथ अभी भी संपर्क में हूँ ताकि वो जल्द पकड़ा जाय. Manohar Wadepalli फेसबुक और व्हाट्सऐप पर भी है। वो नए फोन Olex पर बेचता है, उसका 8 मई 2015 का एक विज्ञापन हमें मिला है। इस घटना को आपसे शेयर करने का उद्देश्य आपको सतर्क करना और इस गैंग को पकड़वाने में आपका सहयोग लेना है। कृपया कोई भी जानकारी मुझे या पुलिस को दें।
Pradeep Kumar
jagarpk@gmail.com
6.8.15
जब मैं हुआ साइबर ठगी का शिकार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment