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29.8.15

मुल्क रिलायंस अदाणी का, हुकुम उनका और हुकूमत भी उनकी!

पलाश विश्वास

नामालूम कि कब यादें सिरे से गुमशुदा हो जायें! कत्लेआम के लिए सियासत काफी है ,दोस्तों। रब को हत्यारा और हत्यारे को रब क्यों बनाते हो ? गुजरात में जो हो रहा है और बाकी देश में जो होने वाला है। धर्म और जाति के नाम जो फिर बंटवारा बेइंतहा है। पहचान के नर्क में जो मुल्क मुल्क दम तोड़ रहा है। रंगा सियार का रंग भी उतरने लगा है।


प्यारे नित्यानंद गायेन,
bahut hi jyada nalayak ho.itbna khoobsoorat likh sakte ho.tamaam chijo mein vakt barbad karte ho lekin likhye bahut kam ho.hum kharab likhte hain .firbhi khoob likhte hain kyunki tumhare hisse ka likhna bhi haota hai.kab mujhe rahat doge?bachpana chhodo bhi aur jang mein shamil ho jao.do kaudi ke Pr se baaj aao.tumhar kalam parmanu bam hai,use hi aajmao.hum jaise do kaudi ke logo eke liye vakt jaya naa karo.bahut sakht naaraj hun.yaar,thodi,humaari bhi pawah kiya karo.yaaede ab bhi aato hai.na jane ,kab yade gumshuda ho jaye.



अपने राजीव नयन दाज्यू जब फेसबुक पर रोमन में हिंदी लिखा देखते हैं तो बेहद गुस्से में आ जाते हैं और उनका सुर ताल बिगड़ जाता है। मैंने ये बातें फेसबुक पर अपने भाई और होनहार वीरवान भाई नित्यानंद गायेन से नयन दाज्यू के गुस्से का जोखिम उठाकर लिख मारी है रोमन में। जैसे लिखा है,हूबहू वही साझा कर रहा हूं। दरअसल तकनीक का कमाल है और उससे ज्यादा तकनीक पर जिनकी मोनोपाली है,उनका कमाल है कि कंप्यू बीच बीच में डेड हो जाता है।नये सिरे से रिफार्मेट कराना होता है। अबकी दफा इंजीनियर शिवम चेता गये हैं कि साफ्टवेयर डाउनलोड न करना वरना बूढ़िया की जान चली जायेगी। हिंदी टुल फेसबुक के लिए हराय गया। तो दोबारा डाउनलोड करने की हिम्मत न हुई। बूढ़िया की जान में है बूढ़े तोते की जान। सोचा की इंसानियत हराय जा रही है। सोचा कि मुल्क हराय जा रहा है। सोचा कि मजहब हराय जा रहा है। सोचा कि देहात हराय जा रहा है। सोचा की बोलियां हराय जा रही हैं। सोचा कि भूगोल हराय जा रहा है। इतिहास हराय जा रहा है। वजूद हराय जा रहा है। मुल्क रिलायंस अदाणी का,हुकुम उनका और हुकूमत भी उनकी! नामालूम कि कब यादें सिरे से गुमशुदा हो जायें! समझ लीजिये कि कितनी खतरनाक बात होती है यह कि आपकी यादें गुमशुदा हों!अपना पराया याद न कर पा रहे हो और फिरभी आप जिंदा है! हमारे मुल्क के नागरिकों का बस यही हाल है। वे वोट देकर खुदा बने हुए है। हत्यारे को रब बना दिया है। कत्लेआम की फिजां को लोग बाजार समझ रहे हैं। यादें मरहूम हैं और समझते ही नहीं है कि मुल्क बाजार बना है और लोगबाग थोक भाव से अपनी मौत का सामान खरीद रहे हैं।

यादें मरहूम हैं और समझते ही नहीं है कि मजहब मुकम्मल  बाजार बना है और बाजार में भगदड़ मची है और किसी को मालूम नहीं कि कौन मरा है और कौन नहीं मरा है।और किसी को मालूम नहीं कि कौन जख्मी है और कौन जख्मी नहीं है।होश नहीं है।मदहोश सभी।

मुझे अफसोस हैं उन काबिल दोस्तों और भाइयों के लिए,जिन्हें हमारे बूढ़ापे का ख्याल नहीं है और अपने निक्मेपन से हम पर बोझ लादे जा रहे हैं।

सबसे गुस्सा है होनहार वीरवान पांत पर जो बाजार में बाजार की लकीर के फकीर बने हुए हैं और मुल्क में बहती खून की नदियों को वे शराब की नदियां समझ रहे हैं।

महाभोज चल रहा है।

अंतिम संस्कार का वक्त हो चला है।

मौत सिरहाने खड़ी है।

वे सुगंधित कंडोम चुनने में लगे हैं।

मुल्क रिलायंस अदाणी का,हुकुम उनका और हुकूमत भी उनकी!

नामालूम कि कब यादें सिरे से गुमशुदा हो जायें!


ये तमाम चीजें बाजार में खरीदने की चीजें तो हैं नहीं कि दोबारा डाउनलोड कर लिया।

अपने सहकर्मी जयनारायण प्रसाद गुरुजी बहुत प्यारे जीव हैं।

असल पोस्तोबाज हैं।हर प्रेस कांप्रेंस,प्रोडक्ट लांचिंग में जाते हैं।

पोस्तो भी वसूलते हैं।फिर वही पोस्तो धर्मतल्ला के गरीब लोगों या अंकुरहाटी चेकपोस्ट पर बिलाय देते हैं।

हम साथियों को शाम को नाश्ता कराना और रात को मिठाई खिलाना,टाफियां बांटना उनका रोजनामचा है और हम उन कुंवारे के पीछे लगे रहकर अपनी बोरियत और भड़ास का इलाज करते हैं।

उन्हें गुस्सा आ जाये और फिर हमें वे गालियां बक दें या कोसना शुरु करें,रोज हमें इसका इंतजार रहता है।

वे होते हैं तो हम खूब बोलते हैं और वे नहीं होते तो समझो मातम वही सन्नाटा है।

रिपोर्टरओ नइखे।रिपोर्टर बेहतरीन हैं।

गंगासागर करीब तीस साल से बिना नागा जा रहे हैं।

परिवर्तन में धुँआधार रिपोर्टिंग की काबिलियत पर माननीय प्रभाष जोशी ने उन्हें रखा था।पर उनकी यह काबिलियत परखी नहीं गयी।

यूं समझिये छोटे मोटे अशोक सेक्सेरिया हैं।

कंप्यू के खिलाफ उनका जिहाद था और उन्हें आखिर जाते जाते हमने मना लिया कि पीसी से दोस्ती करें और जो न लिखा है,वह सबकुछ लिख दें।

क्योंकि हमें उनके हिस्से का भी लिखना होता है।

अभी अभी हमने उन्हें फेसबुक में दाखिल भी करा दिया है और फेसबुक पर मौजूद रहे हमेशा ,इस खातिर रोज नये नये माडल दिखाकर फ्लिपकर्ट बजरिये उन्हें लैटेस्ट मोबाइल भी खरीदवा दिया है।फेसबुक में उन्हें भिड़ा दिया है।

डिजिटल कैमरा है उनके पास।

फिल्म की समझ भी है।

जनसरोकारों से लबालब हैं।

गुस्सा भी बहुत है।

पीड़ा भी कम नहीं है।

डाइरेक्शन का कोर्स किया है।

फिरभी फिल्म कोई बनायी नहीं है।

उनकी फिल्म का इंतजार है।

अब जयनारायण भी पचपन पार हैं और गुरुजी तो हो गये हैं,कुमार भारत जैसे चुस्त फुर्तीले भी नहीं रहे अब।

हम उनसे बड़े हैं।मधुमेह मरीज हैं।फिरभी वे हमसे ज्यादा बूढ़े हो गये हैं और हमसे कहीं ज्यादा बीमार हैं।

हमारे यहां फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अप्पण रायचौधरी रिटायर करने के साल भर अंदर ऊपर चल दिये और हमारे गुरु जी चलने की तैयारी कर रहे हैं।

वैसे अभी हमने किसी को अलविदा कहा नहीं है काम करते करते।

डर है कि चंद महीन काट देने से पहले वही न करना पड़े।

मुश्किल यह है कि होम्योपैय़ी में उनका पक्का यकीन है।डाक्टर बरसों से आपरेशन का अल्टीमेटम दे रहे हैं।

हम लोग मनुहार भी करते रहे हैं कि होम्यापैथी बहुत ठीक है लेकिन इमरजेंसी में आपरेशन करवा भी लेना चाहिए।

अब पानी सर के ऊपर है और आपरेशन करवाना ही होगा।फिलहाल वे मान गये हैं लेकिन हम बेहद घबड़ा रहे हैं।कि आखिर पिर मुकरन जाये आपरेशन से और फिर कुछ कम बेशी न हो जाये।

हाईस्कूल पार करते न करते,नैनीताल पहुंचते न पहुंचते ताक झांक से तोबा कर लिया।

क्योंकि नैनीताल में जिन लोगों से वास्ता पड़ा,उनने बेरहमी से सीखा दिया है को दुनिया में कोई रसगुल्ला हमारे लिए नहीं है।

पेशेवर पत्रकारिता का नतीजा मधुमेह है लेकिन हम मीठे से परहेज कर चुके थे मूछें आने से पहले ही और उनने हमें समझा दिया था कि जिंदगी अगर जहर है तो पीना पड़ेगा।

अगर जिंदगी एक लड़ाई है बेइंतहा तो जमकर लड़ना होगा।

हमें अफसोस है कि अब कही भी न घर में न बाहर कोई है,जो होनहार वीरवान पीढ़ी की पीठ पर कोड़े ऐसे दनादन मारें कि रीढ़ सीधी हो जाये और इस बाजार की दुनिया सौ जुगत लगाकर भी वह रीढ़ न तोड़ सके,न मोड़ सके।

रीढ़ का कारोबार वह सत्तर का दशक रहा है और अफसोस कि हम उसकी आखिरी पीढ़ी है और हमारे हाथ से बगावत की झंडी पकड़ने के लिए कोई ससुरा मान नहीं रहा है।

मुल्क रिलायंस अदाणी का,हुकुम उनका और हुकूमत भी उनकी!

नामालूम कि कब यादें सिरे से गुमशुदा हो जायें!

राजन बकवास किये जा रहे हैं।

राज उनका खत्म है और वे डाउ कैमिकल्स के वकील भी यकीनन नहीं हैं।

खुदै कह रहे हैं कि सुधार अंधेरे में तीरंदाजी है।

वे खुल्ला झूठ बोले हैं,दोस्तो।

यह तीरंदाजी नहीं है।

शब्दभेदी वाण भी नहीं है कोई यह राजा दशरथ का कि कोई अकेला श्रवण कुमार मारा जायेगा और भगवान राम का जनम हो जायेगा।

राज उनका खत्म है और वे डाउ कैमिकल्स के वकील भी यकीनन नहीं हैं।

कुदे कह रहे हैं कि सुधार अंधेरे में तीरंदाजी है।

वे खुल्ला झूठ बोले हैं,दोस्तो।

यह सरासर चांदमारी है और जो भी नागरिक है,मारा जायेगा।

जो नागरिक नहीं भी है वह भी मारा जा जायेगा।

कत्लेआम के लिए सियासत काफी है ,दोस्तों।

मजहब के मुहं पर लहू क्यों लगाते हो ?

कत्लेआम के लिए सियासत काफी है ,दोस्तों।

रब को हत्यारा और हत्यारे को रब क्यों बनाते हो ?

गुजारात में जो हो रहा है और बाकी देश में जो होने वाला है।

धर्म और जाति के नाम जो फिर बंटवारा बेइंतहा है।

पहचान के नर्क में जो मुल्क मर रहा है।

जो मर रही हैं तमाम यादें हमारी

कि हम जिंदा हैं भी और हम जिंदा नहीं भी है।

बाजार मजहब बना है।

कौन पराया,कौन अपना,होश कुछ भी बराबर नहीं है

और चांदमारी करने वाली फौजें भी हमीं तो,

हमीं तो हैं अपनों पर जो चांदमारी कर रहे हैं।

सिरे से गुमशुदा है यादें।

रसगुल्ला है और नहीं भी है रसगुल्ला।

मधुमेह महामारी है।

रसगुल्ला खा भी रहे हैं खूब

लेकिन जो खा रहे हैं

वह मीठा जरुर है

फिरभी जहर है।

हमें होश नहीं है कि

दुनिया बाजार है और

बाजार में मुहब्बत मना है।

बाजार मजहब बना है।

मुल्क भी मजहबी इनदिनों।

मुल्क रिलायंस अदाणी का,हुकुम उनका और हुकूमत भी उनकी!

नामालूम कि कब यादें सिरे से गुमशुदा हो जायें!

हम सिर्फ अपने साथियों,दोस्तों और भाइयों,बहनों का

इंतजार कर रहे हैं।

हम सिर्फ इंतजार कर रहे हैं उन मासूम दिलों का जो मुहब्बत में बेकरार हैं,

फिरभी जिन्हे इकरार नहीं है,नहीं है।

कभी किसी ने कहा है कि हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं,हालात बदलने चाहिए।

न शायर हूं और न कवि,लेकक भी नहीं हूं।नौकरी करता हूं लेकिन पत्रकारिता में भी कोई तोप नहीं हूं।

हम हंगामा खड़ा करना भी नहीं चाहते हैं।

हम मुक्म्मल जंग लड़ना चाहते हैं।

हमारे पास न तलवारे हैं,न तोपें हैं हमारे पास।

नहमारी कोई फोज है और न मिसाइलें हैं हमारी।

फिरभी यकीन है कि इंसान जब जागेगा तो सवेरा है।

फिर यूं समझो कि सहर है,भागा अंधियारा है।

हमें उसी जागरण का इंतजार है।

बाकी हालात तो बदलेंगे ही,

हालात उनके बस में भी  नही है

जिनका तेज बत्ती वाला कारोबार।

रंगा सियार का रंग भी उतरने लगा है।

राजन का राजपाट गयो रे हवा हुई बैंकिंग रिलायंस राज में।

बाकी यह बाजार है।

जोड़ हिसाब गुणा भाग समीकरण सभै हराय गयो रे।

रंगा सियार का रंग भी उतरने लगा है।


कई ना बतावे कि सांढ़ों का कारोबार किसको हो।

कोई ना बतावै भालुओं का बंदर नाच किस किस की मुनाफावसूली के लिए।

कोई ना बतावै ससुरा कि महाजिन्न,बिररंची बाबा,टाइटेनिक महाराज जो आव ना देखे कि ताव भी ना देखे, धकाधक सेल्फी ठोंके फटास फटास और पूरा देश झोंक दियो बाजार मा,तो आखेर फायदा किसका और नुकसानवा किसका।

यादें गुम है दोस्तों।

न जाने हम कि अपना कौन,पराया कौन।

यादें गुम हैं और लोग गणित भी भुला गये इतिहास भूगोल के साथ साथ और किसीको नहीं मालूम कि रगों में उसका कोई खून नहीं, पानी है और खून उसका सड़कों पर बह रहा है और ससुरा समझै है कि खून किसी और का है।

मुल्क रिलायंस अदाणी का,हुकुम उनका और हुकूमत भी उनकी!

नामालूम कि कब यादें सिरे से गुमशुदा हो जायें!



बाकी हम का कहे दुखवा कासे कहें कि खबर है कि बांच लै खुदैः

अब इसे भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' परियोजना के लिए बड़ी उपलब्धि ही कहेंगे कि रूसी सरकार ने एक और परियोजना के लिए भारत को चुना है। रूस की सरकार ने अपनी इस नई परियोजना के भारत में अनिल अंबानी के नेतृत्‍व वाले रिलायंस समू‍ह की एक कंपनी को अपना साझेदार बनाया है। जानकारी है कि दोनों के बीच ये साझेदारी सेना और वायुसेना के लिए करीब 197 हेलीकॉप्‍टर बनाने के लिए हुई है। इस प्रोजेक्‍ट को लेकर कुल मिलाकर 6,000 करोड़ रुपये की परियोजना तैयार की गई है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गत वर्ष दिसंबर में भारतीय दौरे के समय मोदी के सामने यह प्रस्ताव रखा था। हेलीकॉप्टर देश में बनाने की सहमति होने पर 200 हेलीकॉप्टर बनाने का प्रस्ताव दिया गया। बाद में 400 और हेलीकॉप्टर बनाने का ठेका दिया जा सकता है। इसी के तहत रूस सरकार ने एक और परियोजना के लिए अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह की एक कंपनी को साझेदार के रूप में चुना है।

यह साझेदारी सेना और वायुसेना के लिए 197 हेलीकॉप्टर बनाने के 6,000 करोड़ रुपये की एक परियोजना को लेकर है। सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत यह सबसे बड़े समझौतों में से एक होगा। इसके तहत कामोव 226टी श्रेणी के 197 हेलीकॉप्टरों का देश में निर्माण किया जाएगा, जो 30 वर्षो से अहम क्षेत्रों में सेवा दे रहे चेतक और चीता हेलीकॉप्टर बेड़ों की जगह लेगा। इस बारे में पूछे जाने पर रिलायंस डिफेंस के प्रवक्ता ने कहा, “हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया में हिस्सा लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में मई में रक्षा खरीद परिषद की हुई बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी। सूत्रों ने बताया कि गहन वार्ता के बाद रूस की सरकार ने भारत सरकार से कहा है कि परियोजना का कार्यान्वयन एक भरतीय कंपनी के साथ बनाई गई एक संयुक्त उपक्रम कंपनी के जरिए होगा और इसके लिए रिलायंस हेलीकॉप्टर का चुनाव किया गया है।

इसमें प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण भी शामिल है। इसी महीने के शुरू में रिलायंस समूह की कंपनी पिपावाव डिफेंस को रूस के ज्योज्दोच्का शिपयार्ड ने 24 ईकेएम-877 पनडुब्बियों का भारत में मरम्मत करने के लिए चुना था। यह ठेका 30 हजार करोड़ रुपये का हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, युनाइटेड शिपबिल्डिंग कंपनी ऑफ रूस ने पिपावाव का चुनाव तलवार श्रेणी के चार पोतों के निर्माण के लिए भी किया है।

अब तक का होगा सबसे बड़ा समझौता

सूत्रों से प्राप्‍त जानकारी पर गौर करें तो भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत ये अब तक का सबसे बड़ा समझौता साबित होगा। साथ ही ये भी बताया गया कि इसके तहत कामोव 226टी श्रेणी के 197 हेलीकॉप्टरों का निर्माण देश में ही किया जाएगा। बड़ी बात ये भी है कि ये अब 30 वर्षों से अहम क्षेत्रों में सेवा दे रहे चेतक और चीता हेलीकॉप्टर बेड़ों की जगह लेगा।

रिलायंस डिफेंस के प्रवक्‍ता का ये है कहना

इस बारे में रिलायंस डिफेंस के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' और 'स्किल इंडिया' सरीखे कार्यक्रमों में बेहद खुशी के साथ हिस्सा लेने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। यहीं नहीं उन्‍होंने ये भी कहा कि देश की जरूरतें पूरी करने के लिए सैन्य और असैन्य हेलीकॉप्टरों का निर्माण इस प्रतिबद्धता का एक सबसे बड़ा और अहम हिस्सा है।

सूत्रों का ऐसा है कहना

सूत्रों से मिली जानकारी पर गौर करें तो सामने आया है कि परियोजना का कार्यान्वयन एक संयुक्त उपक्रम कंपनी की मदद से किया जाएगा। इसको लेकर रिलायंस डिफेंस की नवगठित हेलीकॉप्टर इकाई का चयन किया गया है। बताते चलें कि रिलायंस डिफेंस रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की ही कंपनी है। वहीं अब कंपनी तेजी के साथ औद्योगिक लाइसेंस हासिल करने की प्रक्रिया में है।

रूस के राष्‍ट्रपति ने पीएम के सामने रखा था प्रस्‍ताव

याद दिला दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गत वर्ष भारतीय दौरे के समय दिसंबर में मोदी के सामने इस तरह का प्रस्ताव रखा था। उसके बाद रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में मई के महीने में रक्षा खरीद परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को पूरी तरह से मंजूरी दे दी गई थी। वैसे बता दें कि इसी महीने की शुरुआत में रिलायंस समूह की कंपनी पिपावाव डिफेंस को रूस के ज्योज्दोच्का शिपयार्ड ने 24 ईकेएम-877 पनडुब्बियों को भारत में मरम्मत करने के लिए चुना था।

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