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31.7.20

अपराधियों का आखिरी आश्रय स्थल पत्रकारिता

आकाश राय

हरपालपुर। कालांतर में पञकारिता एक मिशन हुआ करती थी, आज शुद्ध रुप में व्यवसाय बन गई हैं।   जहां अखबार की दाे लाइन की  खबर से कलेक्टर एसपी का ट्रांसफर हाे जाता था ,आज खबर से पूरा अखबार भर दीजिए चपरासी का ट्रांसफर भी नही करा सकेंगे । वजह आज पञकारिता के नैतिक मूल्यों में जबरदस्त गिरावट आयी हैं, पहले घर - घर नेता हुआ करता था, आज घर -घर में ब्यूरो प्रमुख हैं, जहाँ पत्थर फेकाे किसी  पञकार काे ही लगेगा। उसे भले ही पञकारिता की डेफिनेशन न आती हाे, पर पञकार है, कुछ नैासिखिए झाेलाछाप पञकारिता की चकाचौंध में पैसा खर्च कर झूठी शान और अपने काले कारनामाें काे छिपाने वेब चैनल ताे कुछ सैटेलाइट नयूज चैनल लेकर धन्य हुए  जा रहे हैं। 

शिक्षक, चिकित्सक, पुलिस कर्मी, जवान, रेलवे कर्मी,चपरासी व अन्य कभी कार्ड दिखाकर ये जाहिर नही करते कि मैं फला हूं, पर एक अयोग्य अदना सा पञकार सबसे पहले पञकार बनते ही वाइक में प्रेस लिखाएगा फिर गले में पट्टा डालकर घूमेगा, ग्रुप में कार्ड की फाेटाे सेंड करेगा, थानेदार सीएमओ चिकित्सक काे जन्म दिवस व विदाई पर उपहार भेट कर बधाई देगा। पञकारिता की एबी सीडी  न आने वाले धन्य पञकार ग्रुप से खबरें उठाकर अपना नाम जाेड़कर काँपी पेस्ट करेगा, विभाग में सक्रिय दिखने दलाली और मुखिबरी तक की भूमिका निभाकर हेराफेरी से नही चूकेगा, किसी सभा या आयोजन पर माइक आइडी लेकर भीड़ में ऐसे एंट्री करना जैसे देश की सारी जिम्मेदारी इन्हीं महाशय ने  संभाल रखी हैं,जब खबरिया चैनल खबर टेलीकास्ट नही कर रहा, ताे किसी की खबर उठाकर अपना नाम लिखकर पञकार बताने से क्या साबित हाेगा, किसे मूर्ख बना रहे, अपने आपको, आज के समय के लाेग बहुत जागरूक है, वह आपके फर्जीबाडे और मूर्खता पर हँसते हैं, अब उसकी योग्यता का आंकलन कर लीजिए।पञकार काे किसी सार्टिफिकेट की जरूरत नही हाेती जनता खुद उसका सार्टिफिकेट हाेती हैं,  पञकार की लेखनी बाेलती हैं साहब, कार्ड नही यही उसका साक्षात्कार करा देती है।

भले ही चैनल में एक भी न्यूज टेलीकास्ट न हाे, पर हर जगह हर प्रोग्राम में चैनल की माइक आईडी और गले में पट्टा जरूर देखने काे मिल जायेगा, चैनल वालाें से जब कहा जाता हैं कि खबर क्याें नही टेलीकास्ट कर रहे, ताे चैनल वालाें का जबाव  हाेता भई आपकाे किसने कब नियुक्त किया जब आप फला भाई साहब का नाम लेते हैं ताे जबाब मिलता उन्होंने ताे कभी का काम छाेड़  दिया, 10 -20 हजार रुपए ताे गए पानी में अब आईडी और पट्टा ही बचा जिसे गले में लटकाये अपने आपको पञकार कहते फिराेे, चैनल है नही ताे खबर का सवाल ही नही खबर ब्राड कास्ट न हाेने पर अपनी फजीहत से बचने यूट्यूव, वाट्सएप ग्रुप ट्यूटर या फेसबुक मैसेंजर जिसका काेई रजिस्टेशन नही हाेता पर  यहां वहां से खबरें उठाकर अपनी साख बचाने और गाैरखधंधे काले कारनामे छुपाने लाेकतंञ के शक्तिशाली चाैथे स्तंभ के पीछे एक अपराधी तबका आ खड़ा हुआ हैं, खतरे की घंटी बज चुकी हैं ।

Akash Rai
akashmj24@gmail.com

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