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8.7.20

न्यू मीडिया के भविष्य का फैसला कब करेगी भारत सरकार?



केशव पंडित

नई दिल्ली : इंटरनेट के प्रचार-प्रसार और निरंतर तकनीकी विकास ने एक ऐसी वेब मीडिया को जन्म दिया, जहाँ अभिव्यक्ति के पाठ्य, दृश्य, श्रव्य एवं दृश्य-श्रव्य सभी रूपों का एक साथ क्षणमात्र में प्रसारण संभव हुआ। यह वेब मीडिया ही ‘न्यू मीडिया’ है, जो एक कंपोजिट मीडिया है, जहाँ संपूर्ण और तत्काल अभिव्यक्ति संभव है, जहाँ एक शीर्षक अथवा विषय पर उपलब्ध सभी अभिव्यक्‍तियों की एक साथ जानकारी प्राप्त करना संभव है, जहाँ किसी अभिव्यक्ति पर तत्काल प्रतिक्रिया देना ही संभव नहीं, बल्कि उस अभिव्यक्ति को उस पर प्राप्त सभी प्रतिक्रियाओं के साथ एक जगह साथ-साथ देख पाना भी संभव है। इतना ही नहीं, यह मीडिया लोकतंत्र में नागरिकों के वोट के अधिकार के समान ही हरेक व्यक्ति की भागीदारी के लिए हर क्षण उपलब्ध और खुली हुई है।

इसी विषय पर मंगलवार शाम को एटीवी मीडिया समूह के संस्थापक व मालिक केशव पंडित ने अपने कार्यालय पर प्रेस वार्ता कर सरकार से सबाल उठाया की आखिर इस न्यू मीडिया के भविष्य का फैसला कब करेगी भारत सरकार ? क्या आधार होगा ? किसे मान्यता मिलेगी ? कौन होंगे न्यू मीडिया के अधिकृत पात्र ? केशव पंडित देश के कई बड़े मीडिया संगठनों में राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत हैं | वो समय समय पर "न्यू मीडिया" के सम्बन्ध में सरकार को पत्र भी लिखते रहते हैं | केशव पंडित ने बताया की न्यू मीडिया 2006 में अस्तित्व में आया और 2008 में भारत सरकार ने 'न्यू मीडिया विंग' की स्थापना की | उसके बाद न्यू मीडिया के पत्रकारों को मान्यता देने के लिए 'प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो' ने नियम भी बनाये | सरकार बदली वादे हुए लेकिन न्यू मीडिया के हालत जस के तस बने हुए हैं | अब सबाल ये है अगर न्यू मीडिया अवैध है तो चल क्यों रही है सरकार का कोई एक्शन क्यों नहीं अगर वैध है तो भारत सरकार ने इसके पंजीकरण के लिए मसौदा अभी तक क्यों नहीं तैयार किया | केशव पंडित ने सरकार के अन्य विवादित मुद्दों को उठाते हुए कहा की 370 , 35A, राम मंदिर, तीन तालक, CAA, NRC, के फैसले लेने में देर नहीं की तो न्यू मीडिया के भविष का फैसला कब होगा ? इससे लाखों करोड़ों लोगों का भविष्य दांव पर है | कहीं ऐसा न हो प्रधानमंत्री जी किसी रात 8 बजे आयें और अपंजीकृत मीडिया न्यू मीडिया को नोटबंदी की तरह न्यू मीडिया बंदी कर दें |

वेब चैनल क्या है ?
किसी ऑनलाइन वेबसाइट या इंटरनेट पर अन्य माध्यम से ब्राडकास्ट चैनल को वेब चैनल कहते हैं और न्यूज़ को इंटरनेट पर ऑनलाइन ब्रॉडकास्ट करने वाले चैनल को वेब न्यूज़ चैनल या ऑनलाइन न्यूज़ चैनल कहा जाता हैं। आज मीडिया जगत इलेक्ट्रानिक चैनलों से आगे बढ़ कर अब वेब चैनल की ओर बढ़ गया है। वेब पत्रकारिता के कई स्वरूप आज विकसित हुए हैं, जैसे ब्लाग, वेबसाइट, न्यूज पोर्टल और वेब चैनल आदि। इनके माध्यम से एक बार फिर देश की मीडिया में नए खून का संचार होने लगा है। इस नए माध्यम का तौर-तरीका, कार्यशैली और चलन सब कुछ परंपरागत मीडिया से बिल्कुल अलग और अनोखा है। जैसे, यहां कोई भी व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत पत्रकारिता कर सकता है। वह ब्लाग बना सकता है और वेबसाइट के साथ वेब चैनल भी। हालांकि इन नए माध्यमों में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रभाव का अध्ययन किया जाना अभी बाकी है लेकिन अभी तक जो रूझान दिखता है, उससे कुछ आशा बंधती है। पत्रकारिता की इस नई विधा को परंपरागत पत्रकारिता में भी स्थान मिलने लगा है और इसकी स्वीकार्यता बढ़ने लगी है। परिवर्तन तो परंपरागत मीडिया में भी होना प्रारंभ हो गया है। आज पत्रकारिता एक अत्यंत प्रबल माध्यम बन चुका है और इसके साथ-साथ वेब न्यूज़ पोर्टल और वेब न्यूज़ चैनल का प्रचलन भी बढ़ा हैं |

इनको निम्न तरीको से प्रसारित किया जा सकता हैं।

१.  न्यूज़ पोर्टल पर

२. युट्यूब चैनल

३. न्यूज़ एप्प

४. फेसबुक

५. अन्य

बदलाव और माध्यम
बीते दो -ढ़ाई सालों में ये ट्रेंड बदल गया हैं । बड़े चैनल से जुड़े इक्के दुक्के स्मार्ट पत्रकारों ने लोकल और हाइपर लोकल ख़बरों को स्थान देने के लिये न्यूज़ पोर्टल या वेब न्यूज़ का मंच तैयार किया । अब सभी खबरें टीवी के अंदाज़ में ही वेब न्यूज़ पर दिखने लगी । इंटरनेट और डिजिटल इंडिया के बढ़ते प्रभाव में लोग मोबाइल पर खबरें देखने में रुचि लेने लगे । कोई भी शख्स अपने मोबाइल पर फेसबुक , यूट्यूब , वेबसाइट या न्यूज़ एप्प के माध्यम से अपने गाँव , कस्बे, मोहल्ले या कॉलोनी से सम्बंधित खबरें बिलकुल टीवी के अंदाज़ में देख सकता हैं । आईडिया धीरे धीरे हिट हो चला और लोकल सेक्शन से इन वेब चैनलों को रेवेन्यू भी आने लगा।

केशव पंडित टीवी पत्रकारिता के वो चहरे हैं जिसने 18 बर्षों से खबर से समझौता नहीं किया | केशव पंडित ने देश भर के सभी वेब चैनल पोर्टल को इकट्ठा करने का आवाहन किया है और विश्वाश दिलाया है की जल्द एक नया संगठन बनाकर उसके बैनर तले भारत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला जायेगा | अगर जल्द सरकार ने न्यू मीडिया का कोई हल नहीं निकाला तो जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन के साथ साथ प्रधानमन्त्री कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन करने लिए बाध्य होना पड़ेगा | 

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