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7.3.09

अबकी फागुन

अबकी फागुन खेरे होरी
ओ गोरी
पहना दे मोहें बैयन का हार
नहीं करिबे तोहसे सवाल
बात मान मोरी
अबकी फागुन खेरे होरी
ओ गोरी

अबकी फागुन भीगें संग संग
ई है हमरी पहरी होरी
भिगिये अंचला चोली तोहरी
अबकी फागुन खेरे होरी
ओ गोरी

नाचे संग संग अंगना माँ
उद्हैबे रंग तोहपे करिबे सीनाजोरी
गुलाल अबीर के संग माँ
नैनों के तोहरी दर्पण माँ करिबे ठिठोली
अबकी फागुन खेरे होरी
ओ गोरी

रस्तेय२मन्ज़िल.ब्लागस्पाट.com

2 comments:

musaffir said...

wah dost fagun ka yah rang padh kar maja aa gaya

kunal

musaffir said...

wah dost fagun ka yah rang padh kar maja aa gaya
kunal