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10.3.09

होली की उमंग

आई होली की तरंग
मन में छाई है उमंग
देख गोरी का गोरा अंग
थोरा कर ले हुर्दंग
चढा के रंग और भंग
चलो उरे जैसे पतंग
छाई है फिजा में मस्ती
देखो किसी सो लगे ना गस्ती
हवा में उरे अबीर -गुलाल
देख सब हो गए निहाल
आओ खेले रंगों की होली
ना हो खून की होली
होली का बस यही संदेश
सबो में हो एका ना हो द्वेस

1 comment:

Anil Pendse अनिल पेंडसे said...

होली की ढेर सारी रंग बिरंगी शुभकामनाएं।