मैं भड़ास के लेखकों से अनुरोध करता हूँ की वे अपना ध्यान उन नेताओं के करनी कथनी पर भी जरुर लगाएं जो जनता के नजर में अपने को बहुत बड़ा तारनहार के रूप में पेश करते हैं । पिछ्लें दिनों मैनें एक लेख भड़ास पर डाला था जिसमें नरेगा की कुछ खामिओं और हकीकत के बारे में बताया था । मैं चाहता हूँ की आप उन नेताओं का जरुर पर्दाफास करें जो इस रोजगार देने वाले कानून को सीढी बनाकर चुनावी बेरा को को पर लगना चाहते हैं। इक तो मजदूरों को अनिश्चित काम और उसको संचालित करने वाले कर्मिओं को ठेका की नौकरी । क्या यह चल सकता है। चाहे बिहार सरकार हो या केन्द्र सरकार इस जिम्मेदारी से नहीं बच सकती की सौ दिन के काम से ही एक परिवार को गुजरा हो सकता है क्या ठेके के कर्मी इस योजना को क्योंकर सफल बानाने की कोसिस करें । अपेक्षित टिप्पणी ।
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