धर्मेन्द्र भाई की दिल की बात भड़ास पर पढ़ा। इसको पढ़ने के दो कारण है। पहला धर्मेन्द्र भाई मेरे क्लास मेट है। दूसरा इंदौर की तरह मेरा सतना भी जला। बेगुनाह की आत्मदाह की जवला से ........ दोष किसको दे ? वह एक सच्चा इन्सान था। बस उसकी गलती ये थी, कि बीजेपी के राज में घर में ही छोटी दुकान खोले बैठा था । उसको दिन भर की कमाई की चिंता थी, क्योंकि उसने अपनी भांजी को गोद ले रखा है, जिसकी शादी करनी है, दिन में जो कमा लेता , तो कुछ paisa उसकी शादी के लिए इकठ्ठा हो जाता। उसे क्या पता था ..... उसी के साथ खेल कर बड़े हुए आज उसके दोस्त नही है, बल्कि भाजपाई है .... उन्हें तो बंद से मतलब है । आख़िर आलाकमान का निर्देश है। बंद को सफल बनाना है। चुनाव सर पर है , अब नही मुद्दा उठाएंगे ..... तो आखिर कब उठाएंगे । क्षेत्र का सांसद बीजेपी का , विधायक , सरकार बीजेपी ki। आखिर जब तक उसको समझ आती उससे पहले ही उसने अपने जिन्दगी की किताब हमेशा के लिए बंद कर ली। पुलिस ने भी अपनी नपुंसक तत्परता दिखाई , सब जानते हुए भी अज्ञात लोगो के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। मीडिया द्वारा उसके भाई की बात को बार - बार महत्व दिए जाने के बाद पुलिस ने कुछ नामजद मामले दर्ज किया। वही सतना कलेक्टर, एस पी और डी आई जी rewa ने तो उस समय हद कर दी। मृतक के परिवार से मिलने जाने की वजाय थाने में ही बैठे रहे ।
8.7.08
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2 comments:
भाईसाहब,कलेक्टर से लेकर आई.जी. ने जो किया सो किया परंतु पत्रकारों ने उनकी खिंचाई क्यों नहीं करी?
bhaai bharat,
kalector se SP tak sabne sarkaar ko sahlaane kaa kaam kiya tel lagane kaa kaam kiya kyounki inko kursee chahiye, saale laalfeetashahi ke paibandkaar afsar magar doctor saab ka kahna sahi hai ki patrakaar bandhu kahan the or haan abhi bhi samay nahi beeta hai ek musht hokare khoj khabar loo sasure padadhikaariyon kii.
chahe bhadaas par hi sahii pel do inlogon ki kartoten.
jay jay bhadas.
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