नए हिन्दी के ब्लागर रेटिंग से बहुत प्रभावित रहते हैं और इसी कारण से वे एग्रीगेटर का सहारा लेते हैं तो आज लीजिये हमारे ही एक हंदी के नए ब्लागर बंधु ने जो कि ब्लागबुद्धि नाम से ब्लाग लिखते हैं इन्होंने ब्लागवाणी नामक एक निहायत ही वणिक मठाधीशी सोच रखने वाले एग्रीगेटर के तकनीकी कमीनेपन का खुलासा करा है जिसे पढ़ कर आप इन दुष्टों से सावधान हो जाएं। लीजिये मैं यह पूरी पोस्ट यथावत डाल रहा हूं----
ब्लोग्वाणी 'आज की पसंद' के नाम से एक रेटिंग देता है। जिससे बहुत सारे लोग असंतुष्ट रहते हैं। (एक चिंतित हिन्दुसतानी यहाँ देखें) और मैं उन सबसे सहमत हूँ क्यूंकि इस तरह की कोई भी रेटिंग सही मायनों मे बेकार की है जिसे कोई भी ग़लत तरीके से इस्तेमाल कर सकता है। और इसके लिए किसी भीड़ का होना भी आवश्यक नहीं है। रेटिंग के बारे मे थोडी बहुत जितनी भी तकनीकी जानकारी मुझे है, वो मैं बताना चाहता हूँ।रेटिंग करने में कोई भी वेबसाईट दो चीजों का ध्यान रखता है। पहली ये कि वो आपके ही ब्राउजर पर एक छोटी से फाइल स्थापित करता है जिसे कुकी कहते हैं। और दूसरी कि वो आपका आईपी पता नोट कर लेता है। और हर बार जब आप रेटिंग करते हैं तो वो सबसे पहले आपका कुकी चेक करता है कि कहीं आप पहले ही तो रेट नही कर चुके हैं। लेकिन चूकि ये कुकी आपके ब्राउजर मे स्थापित है, इसे आप थोडी सी तकनीकी जानकारी से मिटा सकते हैं। इसलिए आईपी पता भी नोट किया जाता है। परन्तु बहुत सारे लोग जो किसी कार्यालय या तकनीकी संस्थान से कार्य कर रहे होते हैं, वो एक प्रोक्सी सर्वर के द्वारा इंटरनेट से जुड़े होते हैं। इन मामलो में आप अपना आईपी पता स्वयं परिवर्तित कर पाते हैं।सो, यदि हम अपना आईपी पता परिवर्तित कर सकें। और कुकी को मिटाने कि जानकारी हो तो ऐसे किसी भी रेटिंग प्रणाली को निरर्थक किया जा सकता है।तो यही मैंने किया। परिणाम देखिये:जैसा कि आप उपरोक्त चित्र में देख सकते हैं कि ७ बार पढी गई चीज १० लोगों की पसंद है।थोडी देर में इन्होने वापस मेरी रेटिंग रिसेट कर दी। (शायद प्रोक्सी सर्वर के आईपी के अनुसार) जो कि आपलोगों को सही प्रतीत हो सकता है। लेकिन अब समस्या यहां भी आती है कि जो फोर्मुला मेरे बदले हुए आईपी को थोडी देर बाद मिटा देता है, वो फोर्मुला तो मेरे साथ मेरे संस्थान मे रह रहे ५००० लोगों के आईपी को मिटा देगा। (मतलब उनकी रेटिंग का कोई महत्व ही नहीं?)और अब जाते जाते एक और मजेदार चीज देखिय।एक जगह पोस्ट को २ लोगों की पसंद बता रहे हैं और उसी पृष्ट पर एक जगह ४ की।गोपाला गोपाला! ये कैसा गड़बडझाला?
--:ब्लागबुद्धि से साभार
8.7.08
ब्लागवाणी के तकनीकी कमीनेपन के सच का खुलासा........
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1 comment:
doctor saab,
bahoot khoob, behtareen raha ye,aap to doctor ke saath saath takneeki ke bhi guru nikle aapko sashtaang dandwat. bas logon ko samajhna hoga ki in guttron ke peeche na bhaagen,lokpriyata ke liye ye gutter nahi balki lekhni chahiye.
jay jay bhadas
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