रिश्तों को रास्ते दिखाए जाएँ
नियम निभाने के सिखाये जाएँ
धुंध रास्ते में हो रही है बहुत
कुछ शम्में अब जलाए जाएँ
रो रहा है नुनु जो नेमंचुस को
वो बच्चे कैसे फुसलाये जाएँ
भ्रष्ट सारे पीलर हैं बहुत दूर तक
धीरे-धीरे ही सही नीव हिलाए जाएँ
बाल नांक का दम न कर दे नांक में
कभी-कभी दायरे भी बताये जाएँ
आपका शुभेक्षु
शशि सागर
16.1.10
शशि सागर की ग़ज़ल
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4 comments:
kya bhai desh ko badal k hi rahiyega.
कोरे उपदेश से क्या होगा बन्धु,
समझ पाने का रास्ता भी बताया जाय.
Wah
वाह
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