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20.2.11

हम हैं सूरदास .....





सूरदास ... महान कृष्ण भक्त औऱ अकबर के प्रमुख दरबारी .. वे अंधे या नही इसमें कई विषमतायें हैं लेकिन मैं उस तरफ हूँ जो उन्हे आँखो वाला अँधा कहते हों । जी हां मेरे विचर में सूरदास कृष्णमोह में ऐशे बंधे हुये थे कि उन्हे हर जगह कृष्ण ही कृष्ण दिखलाई पडते थे इसलिये उन्होने जमाने के हिसाब से स्वयं को अँधा माना और जब जमाने ने देखा कि उन्हे तो कृष्ण के सिवाय कुछ दिखलाई नही पड रहा है तो उसने भी उन्हे अँधा कहा ।



धन्य है सूरदास जिन्होने अँधत्व की एक नई परिभाषा बताये कि किस तरह आँखो के होते हुये भी अँधा बना जा सकता है । अरे हां .. याद आया अभी कुछ दिन पहले किसी अखबार में पढा कि गांव की युवती को नंगा करके सारे गाँव में घुमाया गया था और 5 लोगों नें उसका सामूहिक बलात्कार किये थे उस गाँव का नाम तो याद नही आ रहा है वरना आप लोगों को बताता कि चलिये देखिये वहाँ आज भी कई सूरदासी लोग रह रहे हैं । फर्क केवल इतना है कि सूरदास केवल कृष्ण के रूप में खोए रहते थे और ये सूरदास गोपियों में खोए रहते हैं .... र्निवस्त्र ।



अरेरेरेरेरे माफी चाहूंगा भाई अच्छे खासे धर्मचर्चा का मैने बलात्कार कर दिया ........ मुझे क्षमा करें हे देश के सूरदासी बंधुओं आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिये.... लेकिन क्या करूं मेरी भावना भी वैसी ही हो गई है जैसी देश की होती जा रही है, मैं अपने चरित्र को बचाने का प्रयास करता हूँ तो सामने दुसरी भावना आ जाती है । चलिये पुनः क्षमा याचना के साथ आगे बढते हैं .. सूरदास को कितना पारिश्रमिक अकबर देते होंगे ये तो नही पता लेकिन अच्छा देते होंगे तभी तो सूरदास को अपनी रचना बनाने में कोई परेशानी नही आती थी वरना आजकल के तो कई सूरदास रचना के साथ बैठकर, लेटकर ही अपनी रचना पूरी कर रहे हैं और उन्हे उनका मेहनताना भी रचना ही दे देती है ..... लेकिन बात वहीं अटक जाती है ,,...,, भावना पर आकर ... अब आपकी भावना को मैं अपनी समझने की भूल तो कदापि नही कर सकता भले ही आपकी भावना मुझ पर आकर्षित हो रही हो ... इसलिये हमने उसे नये जमाने में लिव ...सिव जैसा कुछ नाम दे रखा है ।



अरे भाई अब मेरी भावना को आप गलत ना समझें वह मनमोहन की मोहिनी की तरह एकदम पाक साफ है यानि की नजर तो गंदी है मगर नियत साफ है । अब बात चली बलात्कार की तो याद आया कि एक देश का बलात्कार हो गया जिसका हुआ उसके बच्चों नें बलात्कारीयों के पिता पर उंगली उठाई और आरोप लगाये तो बच्चों के पिता नें सफाई के साथ कहा कि घर संभालने के लिये कई बातों को अनदेखा करना पडता है मेरे बच्चे तो अच्छे थे लेकिन तुम्हारी माँ को इतना सजधज कर जाते देख उनकी नियत बदल गई और जेवर उतारते उतारते जो हुआ उसे तुम लोग नाहक बलात्कार कह कर बलात्कार का नाम बदनाम कर रहे हो । तुम्हारे देश की लाज दुबारा ना लुटे इसलिये एक डायन को भेजा हुआ हूँ जो तुम्हारे देश की आबरू लुटे बगैर केवल घर बार बिकवा देगी और तुम्हारी बलात्कार की कहानी सूरदासी खबरों में दब जाएगी ।

1 comment:

निर्मला कपिला said...

बढिया व्यंग। धन्यवाद।