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24.2.11

परिस्थिति और इंसान


जीवन में हर आदमी किसी ना किसी परिस्थिति में जी रहा होता है। ये जरूरी नहीं कि वो उसके अनुकूल हो या नहीं। इंसान ना चाह कर भी ऐसी परिस्थितियों को झेलता है, जिसे वो कभी ना चाहता हो। कहते है परिस्थितियों के सामने सब बेबस होते है किसी के वश में नहीं होता कि वो इसे बदल सके। बड़े बड़े राजनेता, अभिनेता, राजा, महाराजा सब परिस्थितियों के आगें मजबूर होकर हालातों को कबूलते है। ये परिस्थितियों का ही तगाजा है कि मैं इतने दिनों से अपने ब्लॉग पर कुछ भी ना लिख सका। मैं रोजाना नेट सर्फिंग तो कर लेता था, लेकिन ब्लॉग पर कुछ लिख पाना संभव ही नहीं हो रहा था। फिर आज सुबह सोचा चाहे जो भी हो जाये, कुछ तो जरूर ही पोस्ट करूंगा। सो परिस्थितियों के बारें में लिख रहा हूं। परिस्थितियों और इंसान के बीच गहरा रिश्ता होता है। क्योंकि हर इंसान इससे जूझ रहा होता है। लड़ रहा होता है अपने वजूद के लिए कि इस संसार में उसका भी कोई अस्ति्व है। यहीं कारण होता है कि वो विपरीत परिस्थितियों के सामने मजबूरन विवश होकर परेशान हो जाता है।

मैंने कहीं पढ़ा है कि परिस्थितियों चाहे कैसी भी हो, हर इंसान को उसका डट कर सामना करना चाहिये। ऐसे में यदि वो इंसान पत्रकार हो तो, चाहें परिस्थितियों कैसी भी हो, उसे फर्क नहीं पढ़ता, ऐसा मैनें ग्रेजुएशन की एक क्लास में आये गेस्ट फेक्लटी से सुना था। मैंने तभी वो बात गांठ बांध कर रख ली। जब भी मैं विपरीत परिस्थितियों के सामने घिरा होता हूं, उनका कमेंट मन में आ जाता है। उसके बाद में दोबारा से उत्साहित होकर फिर अपने कर्म की और अग्रसर हो जाता हूं। यकिन मानिये मुझे तब से लेकर अब तक काफी लाभ मिला है । मैंने किसी धार्मिक किताब में भी पढ़ा है कि, इस संसार में जो कुछ होता है वो ईश्वर के द्वारा हो रहा है। ऐसे में मुझे ओर बल मिल जाता है कि, मेरे साथ हो रही प्रत्येक गतिविधि की खबर यदि स्वंय भगवान को है, तो मेरा बुरा कैसे हो सकता है। क्योंकि वो किसी का बुरा नहीं करता है। इंसान को सही वक्त का इंतजार कर अपने कर्म को करना चाहिये। यकिन मानिये वो कभी जीवन में निराश नहीं होगा, ये जरूर है कि उसे संभलने में थोड़ा वक्त लग जाये। मैं खुद यही सोच कर जी रहा हूं....

मेरी इस सोच में यकिनन कोई त्रुटि तो जरूर होगी, अतः आप से अनुरोध है, कि कभी कभी लिखने वाले इस अदने से सूरज का मार्ग दर्शन जरूर करे, आपके विचारों के स्वागत में हूं.....

सूरज सिंह।

3 comments:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Bahut saarthak vichar..... Achhi lagi post

Suraj Singh Solanki said...

thank u

दलिप कुमार मीना said...

काफी सुलझी हुई बात लिखी है आपने ..क्योकि ये मेने भी महसूस किया है ..परिस्थितियों के सामने सब बेबस हो जाते है..में भी लाइफ़ में बहुत कुछ करना चाहता हु लेकिन मेरी भी कुछ परिस्थिति ऐसी ही है .. कुछ नहीं कर पाता.लेकिन मेरे अंदर वो जोश और जूनून अब भी है ..और आगे भी रहेगा शायद हो सकता कल मेरी भी परिस्थितिया बदल जाए ..