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6.2.11

दिल हमारा है जरा दीवाना

दिल हमारा है जरा दीवाना ,
गर बहक जाये दिल दुखाना क्या?
तेरी नज़रों से पिघल जाता है ,
इसको आहों से आजमाना क्या ?
तेरे घर खुद ही गवां आऊंगा ,
कोशिशों से इसे चुराना क्या ?
मेरे अंदाजे बयां हैं कैसे,
किसी रकीब को बताना क्या?
जो बन सके तो कभी आ के मिलो ,
एक बीमार को बुलाना क्या ?

4 comments:

mridula pradhan said...

bahut achchi lagi.

Dr Om Prakash Pandey said...

yahi to shayari ka inaam hai , dhanywaad! mridulaji.

sangeeta modi shamaa said...

nice post..............

Dr Om Prakash Pandey said...

dhanywaad! shamaaji.