आज़ादी मुफ्त में नहीं -----------आज़ादी की कीमत है -----------गर्म गर्म खूउउउन
एक खबर :
नई दिल्ली। सख्त लोकपाल बिल के लिए 16 अगस्त से अनशन पर बैठने का ऐलान कर चुके अन्ना हजारे को अब तक अनशन के लिए जगह नहीं दी गई है। ये हालत तब है जब 16 अगस्त से पहले सरकारी ऑफिसों में कामकाज का आज अंतिम दिन है और उसका भी वक्त अब खत्म होने जा रहा है। अन्ना दिल्ली पुलिस द्वारा सुझाए गए जय प्रकाश पार्क में अनशन कर पाएंगे या नहीं ये अबतक तय नहीं हो पाया है।
अन्ना ने अनशन के लिए जब दिल्ली पुलिस से जगह मांगी तो पहले तो उसने उन्हें टरकाया और बाद में उन्हें जेपी पार्क में अनशन करने की मंजूरी दे दी। जेपी पार्क पर अनशन के लिए सीपीडब्ल्यू से इजाजत लेना जरूरी है यही वजह है कि जब अन्ना की टीम सीपीडब्ल्यू पहुंची लेकिन वहां से भी उन्हें टरकाया जाने लगा।
सीपीडब्ल्यूडी का तर्क है कि जेपी पार्क वॉकिंग और जॉगिंग के लिए है। वहां इस तरह का आयोजन पहले कभी नहीं हुआ। बाद में सीपीडब्ल्यूडी ने परमिशन की फाइल शहरी विकास मंत्रालय को भेज दी। शहरी विकास मंत्रालय भी लालफीताशाही के इस खेल का माहिर खिलाड़ी था सो उसने ये फाइल दिल्ली के उपराज्यपाल के पास भेज दी है। अब उपराज्यपाल को निर्णय लेना है कि अन्ना जेपी पार्क में अनशन कर पाएंगे या नहीं।
सरकार के रुख पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने एक महीने पहले सरकार से जगह मांगी थी लेकिन अब तक वो ये निर्णय नहीं ले पाई है कि अन्ना कहां अनशन करेंगे। केजरीवाल ने कहा कि अगर सरकार जगह नहीं देगी तो हम अपने अगले कदम के बारे में निर्णय लेंगे। सरकार का रुख दुर्भाग्यपूर्ण है।
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समीक्षा :
अन्ना हजारे कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं .
यदि एक शांति पूर्ण आंदोलन / प्रदर्शन के लिए भी सरकार इजाजत नहीं देती है तो :
कैसा १५ अगस्त !!!!!!! कैसी आजादी ! ! ! ! ! ! !
वस्तुतः हिन्दुस्तान कभी आजाद हुआ ही नहीं .
हम ही जब बच्चे थे , तब आजादी के गीत गाते थे , छुट्टी मनाते थे,कागज का तिरंगा हाथ में लेकर खुश होते थे.
अब जाना कि ये देश के साथ दिखावा था , धोखा था , व् तथाकथित नेता भी इस भुलावे में रहे व् हमें भी रखा
अब कोई भुलावा नहीं , अब तो सब साफ़ साफ़ हो गया है ,
पर आप सोचते हैं कि अन्ना के भूखे रहने से , आज़ादी मिल जायेगी , तो आप गलत फहमी में है ,
आजादी मांगती है :
गरम गरम खून ,
चाहे वह पुलिस कि गोलिओं से निकले या सरकार के गुंडों से
( डा. स्वामी के घर में तोड़ फोड)
वो है : खून , गरम गरम
इसीलिए सुभाष चंद्र बोस को कहना पड़ा :
तुम मुझे खून दो -------------में तुम्हें आज़ादी दूँगा .
और हम वोट देने के लिए घर से निकलने को भी तय्यार नहीं .
और चाहते हैं , हजारे और रामदेव लाठियां खाएं , भगत सिंह दूसरों के घर में पैदा हों , और हमें क्रिकेट मैच देखने, की आज़ादी मिल जाये .
क्या आप एक ब्लॉग भी लिखना पसंद करेंगे !
अरे ! इसके विरोध में ही लिखो , पर कुछ करो तो .
जय हिंद
1 comment:
rashtra jagaran kaa sandesh deti prastuti
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं तथा बधाई
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