ये और बात है कि आज गर्दिश में है हम |
मगर एक दौर था जब सबके बाप हुआ करते थे |
ये और बात है कि आज मेरे साथ नहीं कोई |
मगर एक वक्त था , कुत्तो के भी साथ थे हम |
मनीष कुमार पाण्डेय
(मेरे कुछ प्रिय मित्रो को समर्पित .......)
3.8.11
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1 comment:
mitron ko samarpit yah panktiya kafi teekhi hain .
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