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12.9.11


मुहब्बत में महक गुल की,इसे तुम खार मत करना
नसीबों से मिला प्रीतम,उसे लाचार मत करना
मिटाना हो मिटा देना,मगर इतना कहा सुन लो
कुंवर की चाहतों को भूल कर अखबार मत करना
कुंवर प्रीतम

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