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17.9.11

ई ललुआ को हो क्या गया है?-ब्रज की दुनिया

मित्रों,एक दिन पता चला कि बिहार का मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव महनार पधार रहे हैं,भाषण झाडेंगे.सो हमहू सभ्भे काम-काज को बीच का बगल करके चल दिए बिहने-बिहने लालूजी को सुनने.उ खूब बोले,खूब जमकर बोले,खुभ्भे बोले लेकिन उनकर एक घंटा लम्बी बकवास में से एक्के बात हमको आज भी याद है.आउर उ बात ई है कि अभी तक लोग हमको कहता था ललुआ त काम हुआ अलुआ(शक्करकंद);अब लोग कहते हैं लालू तो भाई अब काम होगा चालू.ई हम जिक्र कर रहे हैं १९९५ के बिहार विधानसभा चुनाव का.उ चुनाव तो लालूजी ने जीता ही बाद में २००० में एक बार आउर जीत गए लेकिन काम को चालू नहीं होना था सो नहीं हुआ आउर अंत में बिहार की जनता जब अलुआ खा-खाकर और लालूजी की जोकरई पर हँसते-हँसते बेहाल होने लगी तब पटक दिया उनको गताल खाता में.
              मित्रों,चूंकि लालूजी ने कई बार मौका देने के बाद भी बिहार में काम चालू नहीं किया इसलिए बेहतर होगा कि बिहार की अन्य भलेमानुष जनता की तरह हम भी उन्हें ललुआ ही कहें.आजकल हम ई ललुआ को लेकर बहुते चिंता में हूँ.जाने का हो गया है राजनीति के डॉक्टर को.हरमेशा एंटिश-फेन्टीश बोलता रहता है आ करता रहता है.का जरुरत थी अन्ना हजारे के खिलाफ होने आउर बोलने की?माना कि अभी एक्कर सितारा गर्दिश में है लेकिन फिरू ऊपर उठियो त सकता है.खाली केंद्र में मंत्री बनेला कोई अप्पन पूरा राजनीतिक जीवन के दाव पर लगाता है क्या?ई काम त पहिले से ही बिहार के एगो आउर नेटा रामविलास जी करिए रहे हैं.सब कोई जानता है कि ललुआ जी गिभ एंड टेक में पूर्ण विश्वास रखते हैं,भगवानो से जादा.बड़ आदमी है कुछ आदर देना ही चाहिए.माने कि ऊ पहले लेते हैं फिर मन हुआ त दिए नहीं त पटना के सुनार आउर फर्नीचरबाला की तरह दुत्कार के भगा दिए.लेकिन ईहाँ त कांग्रेस कुछ देईए नहीं रही है और ले रही है राजनीतिक भविष्य.मंत्री बनाएगी ऐसा लग नहीं रहा है काहे कि अभी सोनिया के दिमाग पर अन्ना फैक्टर हावी है.इतना जरूर है कि अपना ललुआ अभी जेल में नहीं है त कांग्रेसे के कृपा से न त अमरवा नियर उहो जेल जाके बीमार हो चुका होता;झुठ्ठो न त सच्चो के.
           मित्रों,ललुआ को लग रहा है चाहे कहिए कि भरम है कि जात-धरम के मुद्दा पर उ फिरू बिहार का राजा बन सकता है.उ समय गया जब गदहा भी जलेबी खाता था.पिछला विधानसभा चुनाव का गणित अभी तक नहीं समझा है का कि अब काम के बदले दाम मिलता है खाली जोकरई आउर नौटंकी करे बाला के जनता भैंसी पर उल्टा बैठा के हांक देती है;भले ही उ भैंस पर सींग की तरफ से ही क्यों न बैठता हो.
               मित्रों,हम त कहेंगे कि ललुआ को एक बात फिरू से रांची जेल में कुछ समय बिताना चाहिए.केस चलिए रहा है चारा घोटाला बाला सो जमानत टूटे के खाली देरी है.रांची के बगले में कांके में एशिया का सबसे बड़ा पागलखाना है जहाँ से निम्मन के पगलाबे आ पागल के ठीक करे वाली हवा रोजे रांची के तरफ चलती है.ललुआ के मगज में उ ठंडी-ठंडी पगलैया बयार लगेगी त हो सकता है कि ओक्कर दिमाग पुरनका पोजीशन पर आ जाए.आप के पास भी कोनो सुझाव है त सीधे ललुआ जी को या हमको भी दे सकते हैं;हम ओकरा तक चहुंपा देंगे बाकिर मानुष के टटका गोबर लगाबे का सुझाव नहीं दीजिएगा त ठीक रहेगा.काहे से कि जब पेट में चारा आउर दिमाग में पहिले से ही गोबर भरा होता है त ई नुस्खा काम-उम नहीं करता है.धनवाद.

3 comments:

Markand Dave said...

जब पेट में चारा आउर दिमाग में पहिले से ही गोबर भरा होता है त ई नुस्खा काम-उम नहीं करता है.

fantastic article.Thanks.

Markand Dave

ब्रजकिशोर सिंह said...

dhanyawad सर.

रविकर said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||

आपको हमारी ओर से

सादर बधाई ||

चारा अब चारा नहीं, चारो और चुहाड़ |
खाते पीते लूटते, जाय कठौता फाड़ |





जाय कठौता फाड़, मवेशी दिन भर ढोवै |
कदम कदम पर रोज, रात मा कांटे बोवै |




मीरा रही जगाय, जगाये गोकुल सारा |
सोवै घोडा बेंच, मरे काहे बे-चारा ??