ज़रा हमसे नज़रें मिलाओ तो जानें
लगेंगी वो दो पल में ग़ज़लें सुनाने।
है आसान जितने ये पल भर में करने
हैं मुश्किल ही उतने ये वादे निभाने।
छुड़ा कर के दामन चले हो सितमगर
मेरी यादों से जा दिखाओ तो जाने।
हैं दरीचों में यादों के बावस्ता अब तक
वो रेशम से लमहे वो मंज़र सुहाने।
है मक़बूल उल्फत की महफ़िल में हमसा
कोई सिरफिरा आगे आए तो जानें।
मृगेन्द्र मक़बूल
20.9.11
ज़रा हमसे नज़रें मिलाओ तो जानें
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