डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी के उपवास के सन्दर्भ में आज २०.०९.२०११ को ८५ वर्षीय गॉंधीवादी विचारक (जिन्हें मैं अंकल कहकर सम्बोधन करता हूँ) ने मुझे तफसील से अवगत करवाया कि भारत के प्रथम गृहमन्त्री सरदार वल्लभ भाई पटेल पक्के गॉंधीवादी थे, लेकिन अहिंसा के मामले में गॉंधी से उनके विचार पूरी तरह से नहीं मिलते थे| वयोवृद्ध गॉंधीवादी अंकल ने मुझे यह भी बतलाया कि आज नरेन्द्र मोदी भी सरदार पटेल की ही भांति गॉंधीवादी हैं|
जब मैंने उनसे इस बारे में खुलासा करने का आग्रह किया तो उन्होंने बतलाया कि भारत के विभाजन के समय वे अखण्ड पंजाब के भाबलपुर से भारत आये थे, उस समय पाकिस्तान से भारत आने वाली रेलों में सवार हिन्दुओं का वहॉं की सरकार की सह पर, वहॉं के लोगों और सरकारी अमले द्वारा सरेआम कत्लेआम किया गया था| जिसके चलते भारत में उनकी लाशें ही आ सकी थी| इस कारण अनेक हिन्दू लोग पाकिस्तान से भारत आने के लिये रेलों में बैठने से ही घबराने लगे थे|
अंकल ने बतलाया कि उस समय गॉंधी और प्रधानमन्त्री नेहरू की मर्जी के खिलाफ भारत के गृहमन्त्री सरदार पटेल ने भी पाकिस्तान की ही भांति भारत के लोगों और सरकारी अमले को उसी प्रकार की सह दे दी जैसी पाकिस्तान सरकार ने दी थी|
परिणामस्वरूप भारत से पाकिस्तान जाने वाली रेलों में मुसलमानों की लोशें ही पहुँची थी| बुजर्ग अंकल ने बताया कि इसका परिणाम ये हुआ कि भारत आने वाली रेलों में सवार होने वाले हिन्दुओं को पाकिस्तानी सरकार द्वारा सुरक्षित रवाना किया जाने लगा, क्योंकि पाकिस्तानी सरकार को समझ में आ गया था कि यदि हिन्दुओं के साथ किसी भी प्रकार की नाइंसाफी की गयी तो भारत से पाकिस्तान आने वाले मुसलमानों के साथ भी वही व्यवहार किया जायेगा|
अंकल से मैंने कहा कि क्या ये बात वास्तव में सच है, तो वे कहने लगे कि सौ फीसदी सच है| लेकिन मुझे यह सब जानकर आश्चर्य हुआ| खैर जो भी रहा हो, वह अब केवल देश का इतिहास है, जिसे न मिटाया जा सकता है और न हीं बदला जा सकता है| यहॉं सवाल यह भी है कि अंकल ने जो कुछ बतलाया, वह देश के अन्य लोगों के नजरिये से कितना सही है? इस बारे में खुली चर्चा होनी चाहिये| जिससे आज की पीढी सच को जान सके|
इसके आगे अंकल ने जो कहा वो भी मुझे आज के सन्दर्भ उनका अपना दृष्टिकोंण है| अंकल कहते हैं कि जिस प्रकार से पटेल अहिंसा को छोड़कर शेष सभी मामलों में गॉंधी के पूरी तरह से अनुयाई थे, उसी प्रकार से गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी भी गॉंधीवादी हैं| गुजरात में हुई घटनाओं को अंकल आजादी के दौरान की घटनाओं से जोड़कर देखते हैं और कहते हैं कि जिस प्रकार से पटेल के एक्सन का पाकिस्तान में सीधा असर हुआ था, उसी प्रकार से गुजरात में नरेन्द्र मोदी के एक्सन का असर गुजरात के मुसलमानों में हुआ| जिसका ये असर है कि इसके बाद गुजरात में कोई भी सहज ही आतंकी वारदात करने की हिम्मत नहीं जुटा सकता| इसे अंकल नरेन्द्र मोदी की सफलता मानते हैं और इसी कारण से वे मोदी को पटेल के करीब मानते हैं|
मैं इस बारे में एक भी शब्द अपनी विचारधारा के नहीं लिखकर पाठकों को इस बारे में चर्चा के लिये एक ८५ वर्ष के गॉंधीवादी और बिनोबा भावे के सहयोगी के विचार पेश कर रहा हूँ|
आशा है कि सुधि पाठक इस बारे में सार्थक चर्चा करेंगे और आज के सन्दर्भ में इसे समझने और दूसरे लोगों को समझाने का प्रयास करेंगे|
2 comments:
सरदार पटेल के बचे हुए कार्य सिर्फ़ मोदी जी ही कर सकते है जिस प्रकार दस सालों से गुजरात में शांति है, मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर पूरे देश में शांति स्थापित हो जायेगी, कोई चूँ चपट नहीं करेगा, ना सनातनी, ना मुस्लिम, ना इसाई, कोई नहीं।
दुखद सत्य पर -----||
बधाई ||
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