मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
क्या कोई सुन भी रहा है...???
"संपत्ति ने मनुष्य का निर्माण नहीं किया है,बल्कि मनुष्य ने संपत्ति ईजाद की है.अपनी जिन्दगी को जितनी सरलता और सहजता से जी सको,जीने की कोशिश करो.अगर आपके पास पैसा है,तो उसे अनावश्यक रूप से खर्च करने के बजाय उन लोगों पर खर्च करो,जिन्हें इसकी जरुरत है."
ये शब्द (किसी संत या) किसी और के नहीं अपितु दुनिया के सबसे बड़े उद्द्योगपतियों में शुमार "वारेन बफेट"के हैं,जिन्होंने अपनी निन्याबे प्रतिशत सपत्ति तो दान में ही दे डाली है,और उन्होंने desh के अमीरों पर और ज्यादा टैक्स लगाने की वकालत की है,और मजा यह की अनेक धनपतियों ने उनकी इस राय और पहल है तहे-दिल से स्वागत किया है,और राष्ट्र की मदद के लिए ऐसा योगदान करना स्वीकार कर लिया है !!
दूसरी और भारत की बात करें तो भारत के धनकुबेर(बल्कि धन पशु कहूँ तो ज्यादा अच्छा होगा!!)टैक्स बढवाना तो दूर,बल्कि तरह-तरह की तिकड़मों से टैक्स बचाते हैं,जहां भी संभावना हो टैक्स की चोरी करते हैं.मगर यह तो हुई सिर्फ चोरी की बात.कारोबार में तरह-तरह की रियायतों के रूप में सरकार से अनेकों छूट भी हासिल करते हैं,अगर आपको यह जान कर कोई ताजूब ना हो तो बताऊँ की अकेले २०१०-२०११ को एक लाख करोड़ रुपये वो इस छूट के रूप में हासिल कर चुकें हैं,तो दोस्तों यह आंकडा आप पिछले दस सालों पर लागू कर दें,तो आप पायेंगे की कितनी अकूत धन-संपदा उन्होंने इस सरकारी चोर रास्ते से प्राप्त कर ली है,जिसे हम-आप-कोई भी नहीं जानता...दूसरी और घाटा-घाटा का विलाप करते हुए इन उद्द्योगपतियों की सरासर मदद करती हुई यही सरकारें गरीब लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली अनेकानेक वस्तुओं पर से लगातार सब्सिडी कम-पर-कम किये जाती हैं !!
क्या वारेन बफेट के द्वारा उठाये गए सवाल और उनके इस तरह कदमों से भारतीय धनकुबेर कोई प्रेरणा ले पायेंगे...अगर ऐसा हो पाया भारत सचमुच अपने सपूतों से निहाल हो जाएगा....!!!
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