* [गीत]"अचरज बाबू" नाम तुम्हारा होता तो अच्छा था ,
पता नहीं किसने क्यों ईश्वर नाम दे दिया
### * उनका हर काम
'जन' से शुरू होता है
शाम 'जन ' से सोती है
सुबह 'जन ' से होती है
वे जन के ख़ास पैरोकार हैं
बल्कि , एक मात्र जनवाद के अलम- बरदार
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* जवानी में शर्म आती थी
युवा सहपाठिनियों से बात करने मे
अब युवतियाँ
मुझसे सटकर बैठ जाती हैं
कोई संकोच नहीं होता उन्हें मुझसे
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रदीफ़ = पुकारा तुमने , मुझे लगा कि
जब चिड़िया डालों पर चहकी
फूलों की सब क्यारी महकी
बर्फ चाँदनी में इठलाई
जगजीवन ने ली अँगड़ाई ,
सवाँरा तुमने , मुझे लगा कि - -
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* एक कुएँ से , दूजे खाई
कूद रहे हम भाई - भाई ,
इनमे से हम कोई भी हों
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
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* राजा तो बन सकते हो
बीर बहादुर बनकर लेकिन ,
शोषक बनने के लिए
बुद्धि चाहिए 'तीब्र बुद्धि ,
दूर गामी बुद्धि रण चातुर्य
ब्राह्मण को देखिएदुबला - पतला ,
सुटकुन्नी छड़ी जैसा दो हाँड़ का ,
लगता आदमी जैसा
हरा पाया कोई योद्धा उसे ?
अभी तक तो नहीं
उसे कोई वाद पराजित नहीं कर सका
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* होड़ लेने में किसी से मुझको क्या डर !
बचपना मैंने अभी छोड़ा नहीं है [शेर ]
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* चलकर आगे तुमको नदी में फेंक देता //तुझको आगे चल नदी में फेंक देता /तुझको लेकर वह नदी में कूद जाता / रेल की पटरी पे तुमको फेंक देता [1]
अच्छा हुआ जो दिल तुम्हारा टूट गया /अच्छा हुआ जो दिल निराश है तेरा [2] #[ एक शेर बनाना है ]
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* दूर न हो जाती तो यह क्या करती
रोग को मैंने तवज्जो ही नहीं दी [शेर ]
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*[ग़ज़ल ] मैं आऊँगी , तमने कहा कि,
खुशी से पागल ,यूँ मैं हुआ कि [शेर ]
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* सारी समस्याओं की
जड़ है ब्राह्मणवाद
सारी समस्याओं का
निदान है ब्राह्मणवाद
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* नाले साफ़ रहेंगे
तो नदी भी
साफ़ रहेगी
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* नया संशय
उभरने तक ,
संशय विहीन
रहता हूँ मैं
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* प्रश्न हल करना
मतलब
उत्तर मिल जाना ,
प्रश्न का समाप्त होना,
संदेह का मिटना
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* कहीं डाल दो ,
जो भी विचार आयें
किसी शैली - विधा में
कविता - कहानी ,में
यह तो हाइकु है
इसी में सही
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* मेरा लड़का ,
अब तो कुछ बच्चों का बाप ,
मुझसे बातें करता है
तो लगता है जैसे
तुतला कर बोल रहा हो
उसी तरह , जिस तरह
बरसों पहले वह बोलता था ,
जब बोलना सीख रहा था
नहीं , डरता वह
बिलकुल नहीं मुझसे ,
न वह मेरी बात मानता है
बल्कि पूरा दबंग और
आत्म निर्भर है वह उलटे
मुझे ही उसकी बात माननी पड़ती है ,
पर वह 'पापा ' के संबोधन के बाद
हीअपना आदेश सुनाता है
और मुझे लगता है
तोतली वाणी में ही
ज़िद कर रहा है मेरा बेटा ।
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* तब पेंड़
इसलिए नहीं काटे जाते थे
क्योंकि यह धर्म-विरुद्ध था ,
पवित्र माने जाते थे पेंड
अब पेंड़
इसलिए नहीं काटे जायेंगे
क्योंकि यह पर्यावरण विरुद्ध है
यही अंतर है
धर्म और विज्ञान में ,
ईश्वरवाद - मानववाद में
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* बड़ा कवि नहीं बन पाया क्योंकि
मुझे छोटी - छोटी चीज़ें भी
सोचनी थीं
उनसे छूटता ,
तब न
कवि कहाने का जुगाड़ करता !
लेकिन कविता तो बनी ,
बनती गयीजैसे कि यह :
क्या कविता नहीं है ?
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* भजन
प्रभू जी , दे दो एक मिसकाल
कालबैक मैं तुम्हे करूँगा ,तुझसे जी भर बात करूँगा ;फिर सारा आदेश तुम्हारा ,पूर्ण करूँ तत्काल प्रभू जी - -
हाथ में पकड़े फोन मोबाइल
भिनहीं से संध्या ह्वै आइल,
कबहूँ न कबहूँ फोन प्रभू जी
करिहैं तो हर हाल प्रभू जी - - -
चार्ज बैटरी बिलकुल फुल है
बात-यंत्र यह वंडर फुल है ,
इंतज़ार करते -करते
हमअब होते बेहाल प्रभू जी - - -
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* [ गीत]
चिंतन करना होगा हमको ,
बिलकुल ठोस बिन्दुओं पर
गौर करेंगे मुस्लिम पर भी ,
रखकर होश हिन्दुओं पर
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* मैं यहाँ क्या सोच कर बैठा ?
और किस से पूछ कर बैठा ?
कौन से वाहन से मैं यहाँ आया ?
क्यों इस कुर्सी कूद कर बैठा ?
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* (गीत )
पहले संशय फिर विश्वास - - - - -
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*[कविता ]
मौन कक्ष
चुप हो गया अब यह कमरा
बहुत बोलता था
झगड़ा करता ,बहस ,
तर्क - वितर्क करता था
चीखता - चिल्लाता था ,
अपने ऊपर अपने से
बातें करता था जो
किसी को पसंद नहीं आता
तो चुप हो गया
अपनी मर्ज़ी से यह कमरा
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* सोचते हैं लोग ,
जबकि
नहीं सोचना चाहिए था -
उसे किसने बनाया ?
इसे सोचना
उसे अपने सोचने के
दायरे से
बाहर रखना चाहिए था
## [इति ]
12.9.11
कविताभ्यास
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