देव आनंद और सुरैया की रूमानी प्रेम कहानी
पहली मुलाकात में ही हो गया था प्यार
देवानंद की सुरैया से पहली मुलाकात फिल्म विद्या के सेट पर हुई थी। देवानंद बहुत खुश हो रहे थे कि लाखों लोग जिस हंसीन सुरैया के दीवाने हैं वो आज उन्हें बाहों में लेने वाली है। वे चाहते थे कि बाहों में लेते समय कोई उनकी तस्वीर खींच ले। देव ने अपना परिचय देते हुए सुरैया से कहा था, ‘सब लोग मुझे देव कहते हैं। आप मुझे किस नाम से पुकारना पसंद करेंगी?’ सुरैया ने हँसते हुए जवाब दिया था, ‘देव।’
इसके बाद उन्होंने सुरैया की आँखों में देखते हुए अपनी चार्मिंग मुस्कान बिखेरी। सुरैया ने सवाल किया, ‘आप देख क्या रहे हैं ?’’ आप के अंदर कुछ’ देव ने जवाब दिया। सुरैया की जिज्ञासा बढ़ निकली, ‘मेरे अंदर क्या?’’ यह मैं आपको बाद में बताउँगा।’
इस बीच, निर्देशक ने कहा था,’सुरैया जी शॉट रेडी है। आपको गाते हुए देवानंद की कमर में अपनी बाहें डालनी हैं और उनके बालों में उंगलियाँ फेरनी हैं।’ देव ने सुरैया से कहा, ‘उंगलियाँ फेरते हुए मेरे बाल मत बिगाड़िएगा।’ ’हाँ मुझे पता है। मैं आपकी ज़ुल्फ़ों के पफ्स को बिल्कुल नहीं छेड़ूँगी। ’ सुरैया ने कहा। गाना चला, कैमरा रोल हुआ। सुरैया ने देवानंद को पीछे से आलिंगन में लिया। उसने देव की साँसों की गर्माहट महसूस की।
देवानंद ने उनके हाथों का चुम्बन लेकर छोड़ दिया और फिर उनकी तरफ एक फ़्लाइंग किस उछाला। सुरैया ने उनके हाथ के पीछे का हिस्सा चूम कर उसका जवाब दिया।
निर्देशक ने चिल्ला कर कहा, ‘ग्रेट शॉट’। वहाँ पर मौजूद फ़ोटोग्राफर चिल्लाए, ‘एक बार फिर उन्हें चूमिए।’ देवानंद ने सुरैया से पूछा। उन्होंने हां में सिर हिलाया। इस बार देवानंद ने उन्हें गालों पर चूमा। फ़ोटोग्राफ़र पागल हो गए। जब सुरैया को एकांत मिला जो उन्होंने कहा, ‘तो आप कुछ कह रहे थे... मेरे बारे में !’
देवानंद ने फ़्लर्ट किया, ‘मैं आपके भाव नहीं बढ़ाना चाहता।’ ’लेकिन मैं अपने भाव बढ़ाना चाह रही हूँ।’ सुरैया को इस छेड़छाड़ में मज़ा आने लगा था।’ अगर मैं आपको बताऊँ कि मैं आपके बारे में क्या सोच रहा था तो क्या आप उस पर यकीन करेंगी?’ सुरैया ने कहा, ‘बिलकुल।’ ‘आपकी आँखें एक रानी के चेहरे पर चमकते हुए हीरे की तरह हैं। लेकिन...’ ‘लेकिन क्या?’ सुरैया ने ज़ोर दिया। देवानंद ने कहा, ‘आपकी नाक सुँदर तो है लेकिन थोड़ी लंबी है।’ सुरैया ने अपनी नाक छुई और कहा आप सही कहते हैं। देवानंद ने बात आगे बढ़ाई, ‘लेकिन यह आपके चेहरे पर सुँदर लगती है। मेरा जी चाह रहा है कि मैं आपका कोई नाम रखूँ।’ ‘क्या?’ सुरैया ने पूछा। देवानंद ने कहा, ‘मैं अपने साथ काम करने वाली हर लड़की का नाम रखता हूँ।’ ‘तुम ने बहुत सी लड़कियों के साथ काम किया है?’ सुरैया ने सवाल किया। देवानंद ने कहा बहुत तो नहीं... हाँ थोड़ी बहुत ज़रूर... लेकिन चुनिंदा। सुरैया की ख़ूबसूरत आँखें मुस्कराईं, ‘तो आप मेरा क्या नाम रखना चाह रहे थे?’ देवानंद ने शब्द को लंबा करते हुए जवाब दिया, ‘नोओओ...ज़ीईई ...।’ सुरैया ने देवानंद की आँखों में देखते हुए उन्हीं के अंदाज़ में शब्द को लंबा करते हुए कहा, ‘ स्वीईई......ट’।
अगले दिन, एक आउटडोर शूटिंग के दौरान उन्होंने देवानंद से पूछा, ‘आपको पता है आपकी शकल किससे मिलती है ?’ किससे? सुरैया ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा,’ किसी ने आपको बताया नहीं?’ ‘मुझे पता नहीं।’ ‘ग्रेगरी पेक।’ सुरैया ने कहा और देवानंद के चेहरे पर आने वाले भावों को पढ़ने लगीं। देवानंद ने कहा मुझे यह तुलना पसंद नहीं। बहुत दिनों से लोग ऐसा कह रहे हैं। ‘लेकिन क्यों नहीं? देखने में वह इतना अच्छा लगता है।’ सुरैया ने देवानंद की तारीफ़ की।
देवानंद ने मज़ाक किया, ‘देखने में मैं उससे ज़्यादा अच्छा हूँ।’ सुरैया ने कहा मैं तुम्हारे आत्मविश्वास की दाद देती हूँ। देवानंद को यह अहसास हो गया कि सुरैया उन्हें पसंद करने लगी है। उन्होंने बात आगे बढ़ाई, ‘क्यों नहीं तुम मुझे ग्रेगरी पेक से बेहतर नाम देतीं?’ सुरैया सोचने लगीं।
तभी शॉट लेने का बुलावा आ गया। जैसे ही कैमरा घूमा, देवानंद ने एक फूल को तोड़ा और हवा मे उछाल दिया। जब वह नीचे गिरने लगा तो उन्होंने उसे अपने होठों से कैच कर लिया। सुरैया ने उस फूल को देवानंद के होठों से निकाला और चूम लिया। कैमरे ने इस दृश्य को कैद किया और सेट पर मौजूद लोगों ने तालियाँ बजाईं। सुरैया ने देवानंद को अपने पीछे आने का इशारा किया। जब देवानंद उनके पास पहुँचे तो वह पलटीं और उनसे कहा,’ मैं तुम्हे स्टीव कह कर बुलाउँगी।’ स्टीव क्यों ?’ बस यूँ ही। क्योंकि मुझे यह नाम पसंद है।’
देवानंद ने कहा अगर तुम्हें पसंद है तो मुझे भी पसंद है। दोनों ने हाथ मिलाए.... कुछ ज़्यादा ही देर तक... देवानंद ने उनके हाथ को दबाया। सुरैया ने उनका हाथ दबा कर उसका जवाब दिया। अच्छे दोस्त से नज़दीकी दोस्त और फिर आशिक बनने की यह शुरुआत थी।
“जीवन की नैया को खोते हुए ... चले जायेगे” पर नहीं मिल सका किनारा
1948 में फिल्म विद्या में इसी गाने की शूटिंग के दौरान सुरैया की नाव पानी में पलट गई और देव आनंद ने हीरो की तरह झील में कूद कर उनकी जान बचाई। वे कहने लगी अगर तुमने मुझे नहीं बचाया होता तो आज मैं खत्म हो जाती, तो देव ने जवाब दिया अगर आपकी जान चली जाती तो मैं भी खत्म हो जाता। सुरैया ने बाद में माना कि शायद वही पल था जब हमें एक दूसरे से बेइंतहा मुहब्बत हो गई थी। सुरैया-देवआनंद ने एक साथ सात फिल्मों में काम किया, ये सातों फिल्में बॉक्स ऑफिस बहुत हिट नहीं रही। देव और सुरैया ने बहुत ख्वाब देखे कि वे “जीवन की नैया को खोते हुए ... चलते जायेगे ... “ लेकिन नहीं मिल सका उनकी मुहब्बत को किनारा...
आगे की कहानी, देव की जुबानी
वह सुरैया का स्वर्णिम युग था। मैं नया-नया फिल्म उद्योग में आया था और अपने पाँव जमाने की कोशिश कर रहा था। मैं ट्रेन से स्टूडियो आता था और वो मंहगी गाड़ियों में आती थी। लेकिन हम दोनों चुंबक की तरह नजदीक आते चले गए। हम एक-दूसरे को पसंद करते थे और फिर प्रेम करने लगे। मुझे याद है, मैं अपने दोस्तों के साथ चर्च गेट स्टेशन पर उतरकर पैदल मैरिन ड्राइव में “कृष्ण महल” जाया करता था, जहाँ सुरैया रहती थीं। मेरे दोस्त उसकी नानी को घेर कर बातों में उलझा कर रखते और हम छत जा कर पर घंटों बतियाते रहते।
उन दिनों सेट के अलावा अन्यत्र कहीं मिलना संभव नहीं था। बाद में नानी के कारण सेट पर भी हमें आपस में बात नहीं करने दिया जाता था, इसलिए हमारे बीच खतो-किताबत चलती रहती थी। खत पहुँचाने का काम करते थे मेरे दोस्त केमरामेन देवेजा, ओम प्रकाश और कामिनी कौशल। हम शादी करना चाहते थे। सुरैया की माँ ने तो हमारी आशनाई को स्वीकार कर लिया था लेकिन सुरैया की नानी इस शादी के लिए तैयार नहीं हुईं। उनके घर कई लोग आने-जाने लगे थे, जिससे वे भ्रमित रहने लगीं। निहित स्वार्थी तत्वों ने हिन्दू-मुसलमान की बात उठाकर हमारे लिए मुश्किलें पैदा कर दीं। उन दिनों की पत्रिकाओं ने भी गुलगपाड़ा मचाया। हमारा अफेयर रोजाना सुर्खियों में छपता था। मूवी-टाइम्स के बी.के. करंजिया हमारे रोमांस की हर खबर खुल कर लिखते थे।
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सुरैया और देव आनंद का रोमांस पूरे शबाब पर था। उनका प्यार परवान चढ़ रहा था। दोनों ने तो अपने बच्चों के नाम भी सोच लिए थे। सुरैया कहा करती थी कि उसे लड़की चाहिये, ताकि वो उसे अच्छी-अच्छी ड्रेस पहना सके। देव कहते थे कि तुम्हारे पास तो इतनी ढेर सारी गुड़ियां हैं फिर तुम्हें लड़की क्यों चाहिये। वो जिद पर अड़ी रहती और कहती कि लड़की होगी तो उसका नाम देवीना रखेगी।
शुरुआत की तीन फिल्मों में काम करने के दौरान तो किसी को इनके रिश्ते की खबर नहीं लगी मगर 1951 में रूढीवादी परिवार से संबंध रखने वाली सुरैय्या का परिवार उन पर नजर रखने लगा। फिल्म अफसर की शूटिंग के दौरान दोनों के अफेयर की खबर सबको लग गई और इसका जमकर विरोध हुआ। दोनों शादी करना चाहते थे मगर इनका रिश्ता धार्मिक कट्टरता के की भेंट चढ़ गया। देव साहब हिंदू थे जबकि सुरैय्या मुस्लिम और इसी वजह से इनका रिश्ता शादी में नहीं बदल पाया।
देव आनंद ने अपने और सुरैया के रिश्ते के बारे में बताते हुए यह लिखा है कि अगर सुरैया उनकी जिंदगी में होती तो कुछ और ही बात होती।
देव आनंद ने अपने और सुरैया के रिश्ते के बारे में बताते हुए यह लिखा है कि अगर सुरैया उनकी जिंदगी में होती तो कुछ और ही बात होती।
सुरैय्या की नानी इन दोनों के रिश्ते की सबसे बड़ी दुश्मन थीं, बाद में उनकी दादी भी रिश्ते के सख्त खिलाफ हो गयीं। सुरैय्या को देव साहब से मिलने नहीं दिया जाता था। देव जब भी उनसे मिलने के लिए उनके घर जाते वहां पहरेदार मौजूद रहते जिनसे वह तंग आ गए।
जीत फिल्म के सेट पर होने वाली थी असली शादी
तभी जीत फिल्म के लिए देव और सुरैया की शादी का सीन शूट होना था। सुरैया के घर वालों से परेशान देव और सुरैया ने इस शूटिंग में अपनी असली शादी करने का प्लान बना लिया। पंडित भी असली बुलाया गया, सब कुछ असली था और मंत्र भी असली पढ़े जाने वाले थे। लेकिन ऐन वक्त पर एक असिसटेंट डायरेक्टर ने सुरैया की नानी को फोन कर दिया, बस फिर क्या था नानी ने सेट पर आकर हंगामा कर दिया और सुरैया को पकड़ कर घर ले गई। इसके बाद नानी ने उसकी शादी मशहूर डायरेक्टर एम. सादिक से करनी चाही पर देव की यादों में तड़पती सुरैया किसी और से शादी करने को कहाँ तैयार होने वाली थी। फिर हर रोज उसे समझाने के लिए फिल्म इंडस्ट्री के करीबी लोगों को बुलाया जाता, जो उसे समझाते कि देव के साथ शादी उसकी सबसे बड़ी भूल होगी । अभिनेत्री नादिरा के पति तो कुरान ले आए और बोले, “इस पर हाथ रख कर कसम खाओ कि तुम देव से शादी नहीं करोगी। अगर तुम देव से शादी करोगी तो देश में दंगे भी हो सकते हैं।” सुरैया के मामा और मानी ने देव को जान से मारने की धमकी तक दे डाली थी। सुरैया डर गई थी। वह हिम्मत नहीं जुटा पाई। वह देव से बोली, मैं तुम्हारी मौत का कारण नहीं बनना चाहती। देव ने उसे बहुत समझाया, पर वह नहीं मानी। इसके बाद देव इतने जजबाती हो गए कि उसे तमाचा मार दिया, सुरैया फूट फूट कर रोने लगी। उस समय तो देव चले गये लेकिन बाद में वे सुरैया को बाहों में लेकर रोए और बहुत पछताए।
सुरैया से मिलने रात को, मम्मी ने बुलाया देव को
उसके बाद उन्होंने सुरैय्या से फोन पर बात करने की कोशिश की मगर हर बार उनकी नानी फ़ोन उठाती और उन्हें सुरैय्या से दूर रहने की हिदायत देतीं। एक बार उन्होंने देव को धमकाया था कि अगर वह बाज नहीं आए तो वह उनकी शिकायत पुलिस में कर देंगी। मुहब्हत पर सख्त पहरे लग गये थे। एक बार सुरैय्या की मां ने फोन उठा लिया और देव को कहा कि सुरैया भी तुमसे मिलना चाहती है और वह अगले दिन रात को 11.30 बजे छत पर सुरैया से मिलने आ जाये। देव डर को डर था कि कहीं उन्हें फंसाने की प्लानिंग तो नहीं है, फिर उन्होंने सोचा कि एक सुरैया की मम्मी ही तो है जिस पर वो भरोसा कर सकते हैं। फिर भी वो अपने दोस्त तारा को लेकर गये जो पुलिस इंस्पेक्टर था। तारा अपनी पिस्टल और टॉर्च अदि लेकर पूरी तैयारी के साथ देव के साथ गये। इस तरह दूसरी रात “कृष्ण महल” की छत पर रात 11.30 बजे देव सुरैया से मिलने पहुँचे, जहाँ सुरैया पहले से ही देव का इंतजार कर रही थी। जाते ही उन्होंने सुरैया को गले लगा लिया और काफी देर तक एक दूसरे को बाहों में भर कर चुपचाप खड़े रहे। इसके बाद देव ने सुरैया का चुम्बन लिया और फिर सुरैया फूट फूट कर रोने लगी। देव उसे समझाते रहे और शादी करने की इच्छा जाहिर की। सुरैया कुछ नहीं बोली बस बार बार देव को बाहों में भर कर आई लव यू आई लव यू कहती रही। देव ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि मैं उस चुम्बन को कभी नहीं भूल पाया।
सगाई की अंगूठी ने मचाया बवाल
अगले दिन देव ने झवेरी बाजार से हीरे की एक मंहगी अंगूठी खरीदी। उसमें तीन पेशकीमती हीरे जड़े हुए थे। पैसे दोस्तों से उधार लिये गए, क्योंकि तब देव के पास इतने पैसे नहीं होते थे। सुरैया के दरवाजे उनके लिए बंद हो चुके थे, इसलिए उन्होंने सुरैया तक इस सगाई की अंगूठी और खत भेजने का जिम्मा दिया देवेजा को। सुरैया ने अंगूठी को छुपा लिया और देवेजा को कहा कि वो देव से कह दे कि सुरैया उन्हें बहुत प्यार करती है। एक दिन शूटिंग के दौरान सुरैया ने देव की दी हुई अंगूठी पहन ली। लेकिन नानी की एक्सरे जैसी नजर से अंगूठी छुप नहीं पाई। नानी बहुत गुस्सा हुई हाथ पकड़ कर सुरैया को घर ले आई। उसकी घर से बाहर निकलने पर भी रोक लगा दी गई। सुरैया के घर का माहौल बहुत खराब हो चुका था। अगर वो घर वालों की मर्जी के खिलाफ देव से शादी करती तो उसे रास्ते से हटा दिया जाता या नानी अपनी जान दे देती।
उसके बाद देव की सुरैया से मुलाकात नहीं हो पा रही थी। उनकी फिल्म की शूटिंग भी पूरी हो चुकी थी, इसलिए उन्होंने फिर से केमरामेन देवेजा को सुरैया के घर भेजा। लेकिन नानी को माजरा समझ में आ चुका था इसलिए उन्होंने उससे साफ कह डाला कि उसे अब इस घर में आने की इजाजत नहीं हैं और वह बाहर से ही लौट आया।
मजहब बना दीवार, असफल हुआ प्यार
आखिर घर वालों के डर से सुरैया ने देव से शादी नहीं करने का फैसला कर ही लिया। वो डर गई थी या शायद ईश्वर को यही मंजूर था। फिर एक दिन सुरैया ने अपनी मुहब्बत को याद करते हुए देव की दी हुई सगाई की अंगूठी को समुंदर में फैंक कर अपने प्रेम की आहुति दे डाली। इस तरह बॉलीवुड की सबसे मशहूर प्रेम कहानी कभी पूरी न हो सकी।
उस रात देव घर जाकर चेतन के कंधे पर सिर रखकर खूब रोए और उन्हें अपनी सारी दास्तान सुना दी। चेतन ने देव को बहुत समझाया और कहा कि जीवन के इस दौर में हरेक के साथ ऐसा कुछ घटता है। आज मैं समझता हूँ, जो हुआ अच्छे के लिए हुआ।
मगर सुरैय्या इस रिश्ते के टूटने से बहुत टूट गयीं और उन्होंने कभी शादी ना करने का फैसला किया। उन्होंने इसके बाद फिल्मों में गाना और एक्टिंग करना भी छोड़ दिया। काश नानी उनके बीच न आती तो शायद कई दशकों तक हमें हुस्न की मल्लिका सुरैया की फिल्में और गीत और सुनने को मिलते।
बरसों बाद जब एक दिन किसी पार्टी में देव और सुरैया मिले तो बहुत सारी बातें हुई और देव ने बताया कि उनके एक बेटा व एक बेटी भी है तो सुरैया ने पूछा कि आपकी बेटी का क्या नाम है? तो देव ने कहा कि तुम्हें तो उसका नाम मालूम होना चाहिये... जी मैंने उसका नाम देवीना ही रखा है।
देव साहब के बारे में कहा जाता था कि उन्हें काले कपड़ों में देखकर लड़कियां बेहोश हो जाया करती थीं। उनकी एक मुस्कान पर हसीनाओं के दिलों की धड़कनें रुक जाती थीं, जिनकी एक अदा पर बॉलीवुड की हीरोइनें कुर्बान हो जाया करती थीं। बॉलीवुड के सबसे हैंडसम हीरो देवानंद अपने जमाने की सबसे हसीन और नजाकत वाली हीरोइन सुरैया की अदाओं पर अपना दिल हार बैठे लेकिन अफसोस अंजाम में सामने आई एक अधूरी प्रेम कहानी।
उस रात देव घर जाकर चेतन के कंधे पर सिर रखकर खूब रोए और उन्हें अपनी सारी दास्तान सुना दी। चेतन ने देव को बहुत समझाया और कहा कि जीवन के इस दौर में हरेक के साथ ऐसा कुछ घटता है। आज मैं समझता हूँ, जो हुआ अच्छे के लिए हुआ।
मगर सुरैय्या इस रिश्ते के टूटने से बहुत टूट गयीं और उन्होंने कभी शादी ना करने का फैसला किया। उन्होंने इसके बाद फिल्मों में गाना और एक्टिंग करना भी छोड़ दिया। काश नानी उनके बीच न आती तो शायद कई दशकों तक हमें हुस्न की मल्लिका सुरैया की फिल्में और गीत और सुनने को मिलते।
बरसों बाद जब एक दिन किसी पार्टी में देव और सुरैया मिले तो बहुत सारी बातें हुई और देव ने बताया कि उनके एक बेटा व एक बेटी भी है तो सुरैया ने पूछा कि आपकी बेटी का क्या नाम है? तो देव ने कहा कि तुम्हें तो उसका नाम मालूम होना चाहिये... जी मैंने उसका नाम देवीना ही रखा है।
देव साहब के बारे में कहा जाता था कि उन्हें काले कपड़ों में देखकर लड़कियां बेहोश हो जाया करती थीं। उनकी एक मुस्कान पर हसीनाओं के दिलों की धड़कनें रुक जाती थीं, जिनकी एक अदा पर बॉलीवुड की हीरोइनें कुर्बान हो जाया करती थीं। बॉलीवुड के सबसे हैंडसम हीरो देवानंद अपने जमाने की सबसे हसीन और नजाकत वाली हीरोइन सुरैया की अदाओं पर अपना दिल हार बैठे लेकिन अफसोस अंजाम में सामने आई एक अधूरी प्रेम कहानी।
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