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29.6.13

मित्रों !  आज के सन्दर्भ में राजनीति है क्या ? यह वास्तव में हमारा नजरिया ही है जो किसी चीज को कभी राजनैतिक तो कभी सामाजिक या समाज सेवी दृष्टिकोण से ओतप्रोत कर देता है । मोदी उत्तराखंड आये । उन्हें कहा गया कि  आप पैदल नहीं जा सकते । वे कुछ गुजरातियों को लेकर लौट गए । उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार केदारनाथ को संवार देगी , तैयार कर देगी । यह एक प्रस्ताव था । बहुगुणा जी ने मना कर दिया । कोई बात नहीं । लेकिन कहा गया कि  मोदी राजनीति कर रहे हैं । सोचिये , यदि कोई कांग्रेसी मुख्यमंत्री केदार नाथ को संवारने की बात कहते और यदि बहुगुणा हाँ या न करते तो भी क्या राजनीति होती । हरियाणा के सी एम् ने भी दस गाँव गोद लेने की बात कही तो राजनीति नहीं हुई । मोदी ने कह दिया तो राजनीति हो गयी और हुड्डा ने कहा तो समाज सेवा ।
मोदी गुजरातियों को ले गए जिनके प्रति वे वहाँ के मुख्यमंत्री होने के नाते उत्तरदायी हैं तो राजनीति हो गयी । और आंध्र प्रदेश के नेता एयर पोर्ट पर आन्ध्र प्रदेश के आपदा पीड़ितों को लेने के लिए लड़ते नजर आये तो समाज सेवा हो गयी  । उनसे किसी ने नहीं पूछा कि  भाई बाकियों को क्यों नहीं ले जा रहे हो । सिर्फ आन्ध्र वासियों को ही क्यों ? मोदी आजकल ऐसे टारगेट हो गए हैं कि  सब मिलकर मोदी से घबराए हैं और कोई मौका नहीं चूकते ।
मोदी को पैदल जाने की इजाजत नहीं , राहुल के लिए रास्ता साफ़ , क्यों ? यह राजनीति क्यों नहीं है ? अपने  अमूल बॉय को आप जाने देते हैं ताकि चुनाव में फायदा उठाया जा सके । क्या जनता वास्तव में इतनी ही बेवकूफ होती है जितना नेता इन्हें समझते हैं ? हैरानी होती है । लेकिन एक बात तो तय हैकि  राहुल को वहाँ लोगों ने जो खरी खोटी सुनाई है वह राहुल याद तो जरूर रखेंगे और अपने मातहत कांग्रेसियों को समझा कर रखेंगे कि  आगे से ऐसा न हो ।
खैर , कुल मिलाकर कई बार राजनीति हमारी दृष्टि में होती है , वस्तु स्थिति में नहीं । अगर वास्तव में हमारा दृष्टिकोण बात बात में राजनीति न ढूँढता तो आज लोग वहाँ आपदा में भूखे प्यासे न मरते । क्योंकि यह राजनीति ही तो हमारी लाल फीताशाही को भी बर्बाद कर रही है ।

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