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25.6.13

फिर ठगे गये शिव की नगरी के वासी शिवराज से
सिवनी। शिव की नगरी सिवनी से ना जाने शिवराज का क्या बैर है कि उनके राज में जिले को कुछ मिला तो नहीं छिन जरूर गया। जिले की लगभग पेंतीस ऐसी घोषणायें है जो आज तक पूरी नहीं हुयीं है। यह भी पहला मौका है कि उनके राज में जिला मंत्री विहीन रहा है। 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज में शिव की नगरी सिवनी सबसे ज्यादा नुकसान में रही है। उनका हर दौरा जिले के साथ छलावा ही रहा है। मुख्यमंत्री ने घोषणाओं का तो हर दौरे में अंबार लगा दिया और जिले के भाजपा नेताओं ने उनकी घोषणाओं पर आभार भी खूब व्यक्त किया लेकिन अंततः वे घोषणावीर ही साबित हुये। उनकी ज्यदातर घोषणायें अपने पूरा होने का इंतजार ही कर रहीं है। इसमें यदि यह कहा जाये कि जिले के भाजपा के जनप्रतिनिधि भी बराबरी के दोषी हैं तो कोई गलत बात नहीं होगी। वे भी हर बार उनके आगमन पर नयी नयी मांग तो करतें गये लेकिन पूर्व की घोषणाओं पर अमल के लिये अपने ही मुख्यमंत्री को मजबूर नहीं करा पाये। 
इस दौरे में तो हद ही हो गयी। मुख्यमंत्री ने अपनी ही पूर्व में की गयी अधूरी घोषणाओं को ही एक बार फिर से करने का करतब भी दिखा डाला है। चाहे वह नर्सिंग कॉलेज की हो या फिर फोर लेन की हो। 
फोर लेन के मामले में शिवराज ने सफाई दी कि वे इस मामले में जयराम रमेश से मिल थे। लेकिन उनकी इन मुलाकातों के जितने भी समाचार सूचना प्रकाशन विभाग से जारी हुये उनमें विभिन्न योजनाओं का तो जिक्र था लेकिन सिवनी की फोर लेन का नहीं था। और तो और केन्द्र में लगभग साल भर से जयंती नटराजन वन एवं पर्यावरण मंत्री है जिनका अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने जिक्र तक नही किया। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार के बीच एक पेंच फंसा हुआ हैं जबकि फोर लेन का मामला नेशनल टाइगर कंजरवेश अर्थारिटी ऑफउ इंड़िया में एन.ओ.सी. के लिये लंबित है। इससे यह साफ जाहिर होता है सिवनी में सिंह गर्जना करने के अलावा मुख्यमंत्री इस मामले में कितने गंभीर है। मेडिकल कॉलेज, एग्रीकल्चर कॉलेज,संभाग जैसी कई मांगें हैं जिनका कोई समाधान नहीं हुआ है। सिवनी का एक और रिकार्ड शिवराज के नाम दर्ज हो गया हैं। अंतरिम सरकार से लेकर अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि सत्तादल का जिले से विधायक जीता हो और जिले से मंत्रीमंड़ल में कोई मंत्री ना बना हो। एक बार सन 1977 में जरूर जिले से कोई मंत्री नहीं बना था क्योंकि सत्तारूढ़ जनता पार्टी का एक भी विधायक जिले सें जीता नहीं था। जिले की पांचों विस सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के दोनों कार्यकाल के लगभग आठ वर्षों से जिले में चार में तीन भाजपा के विधायक होने के बाद भी किसी को शिवराज ने मंत्री नहीं बनाया। और तो और प्रदेश में जिन सांसदों को विस चुना लड़ाया था उनमें नीता पटेरिया को छोड़कर सभी मंत्री बन गये। हालांकि दो भाजपा नेताओं को लालबत्ती जरूर दी गयी है।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना हैं कि जब बिना कुछ दिये सांसद,तीन विधायक और नगर पालिका काचुनाव भाजपा जीत जाती हैं तो भला शिवराज शिव की नगरी को कुछ क्यों देंगें?
दर्पण झूठ ना बोले
25 जून 2013 से साभार

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