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8.5.20

इनके हिस्से का हक भी, कैसे तुम हजम कर जाते हो

Chander Mauli 

देखो ये सड़कों पर भीड़ , देखो इसका हाल
कुछ तो रहम करो मेरे देश के बड़े बड़े नेताओं
नहीं तो भगवान करेगा तुम्हारा भी यही हाल

ये वही लोग हैं वोट के लिए जिनको गले लगाते हो
काम निकला तो फिर पास भी नजर नही आते हो

करते हैं मेहनत यही लोग तुम खाली बैठे खाते हो
इनके हिस्से का हक भी, कैसे तुम हजम कर जाते हो

आज इन्हे है जरूरत फिर भी नजर नही आते हो
अरे कुछ तो शर्म करो तुम कैसे ये सब देख पाते हो
आत्मा मर गई तुम्हारी, जो इनका दुख भी देख नही पाते हो
अब तो भूखों पर कर लो रहम, क्यूं इन्हे इतना तड़पाते हो

सड़कों पर देख भूखों की भीड़ दिल मेरा भर आया था
क्या तुम्हे इन लाखों का कोई दर्द नजर नही आया था

कहीं बाप के कंधो पर बच्चे तो कहीं मां की गोद में बच्चे
दूर तक ना कोई मंजिल, ना ही कोई सहारा मिल पाया था
क्या इन असहाय मां बाप का कोई दर्द नजर नही आया था

चलते चलते इनके पांव में पड़ गए थे बड़े बड़े छाले
कहां छुप गए थे तब मेरे देश के सब बड़े दिल वाले
क्या इन सब के लिए कोई संतोषजनक कदम उठाया था
वाह रे मेरे नेताओं क्या तुम्हे इनका दर्द नजर नही आया था

आप बैठे तुम वातानुकूलित कमरों में देश को संदेश दे रहे
पर देश के बेचारे गरीब सड़कों पर भूखे ही कष्ट झेल रहे
करदी इनकी मदद की लाख हवाई घोषणाएं बंद कमरों से
क्या जमीं पर भी इनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया था
वाह रे सफेदपोशों क्या तुम्हे इनका दर्द नजर नही आया था

देखते देखते ये बुरा दौर भी चला जाएगा
इस महामारी से देश मेरा जीत भी जाएगा
पर इन मतलबी नेताओं से मेरा देश कैसे बच पाएगा
सच तो यही है कि तुम सब को कोई बदल ना पाएगा

फिर झूठे वादों की आड़ में देश की भोली जनता को लोगे छल
काम अपना निकाल फिर ऐसो आराम को तुम लोगे निकल
सच तो यही है कि तुम नेताओं को कभी शर्म नही आएगी
तुम आरामपरस्तों को हमारी परेशानी नजर नही आएगी

करो तुम बुरे कर्म, मुझे तो ऊपर वाले पर है विश्वास
तुम्हारे कर्मो का लेखा जोखा सब है उस खुदा के पास
जैसा करोगे वैसा भरोगे इसे कभी कोई बदल नही पाया है
जिसने जैसा बोया वैसा काटा, सदा से यही होता आया है

तुम्हारे एक एक कर्म का तुम्हे खुद ही करना है भुगतान
समय है अब भी जाने से पहले कर लो कुछ अच्छे काम

अंत में बस तुम सब को बस एक ही बात कह पाऊंगा
है एक ऐसा विचार समझो तो जीवन बदल जाएगा
क्या लाया था अपने साथ और क्या ले जाएगा
अगर दिल से कभी तू ये सच बात सोच पाएगा
देख लेना जीवन बदल जाएगा, जीवन बदल जाएगा

वरिष्ठ पत्रकार व स्वतंत्र लेखक चंद्रमौली की कलम से.


Chander Mauli
c.maulisharma@gmail.com

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