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3.3.08

भड़ास की सदस्यता के लिए नई शर्त

रमेश शर्मा नामक सज्जन ने जिस तरह रेशमा और मोइन की नंगी सेक्स स्टोरी को बेहद अश्लील तरीके से लिखकर भड़ास पर प्रकाशित किया, उससे यह जाहिर हो गया कि कुछ लोग जान बूझकर भड़ास को बदनाम करने के लिए किसी भी हद तक साजिश करने के लिए उतर आए हैं। मुझे तुरंत ही इस पोस्ट को डिलीट करना पड़ा और इन सज्जन की मेंबरशिप को हटाना पड़ा। इससे पहले इन साजिशकर्ताओं की तरफ से ही किसी एक सज्जन ने अनाम नाम से एक सीनियर महिला ब्लागर का नाम लेकर उनके खिलाफ भड़ास के चैट बाक्स पर अश्लील कमेंट लिख डाले। मुझे तुरत फुरत बिना देर किए उस चैट बाक्स को ही लेआउट से रिमूव करना पड़ा।

उपरोक्त दोनों ही कारनामों के दौरान संयोग ये था कि मैं खुद आनलाइन था और मेरी नजर तुरंत इन जगहों पर पड़ गई। ऐसे में इन साजिशों को देखते हुए मुझे भड़ास की सदस्यता के लिए आनलाइन ओपेन इनविटेशन देने के बजाय मांगने पर सदस्यता देने का निर्णय लेना पड़ा ताकि सदस्यता देने से पहले संबंधित सज्जन के बारे में पड़ताल की जा सके। अब भड़ास का सदस्य बनने के लिए किसी को भी अपना मोबाइल नंबर व नाम लिखकर yashwantdelhi@gmail.com पर भेजना पड़ेगा। उनसे बातचीत के बाद ही उनकी सदस्यता एप्रूव की जाएगी।

मुझे उम्मीद है कि जितने भी लोग इस वक्त भड़ास के सदस्य हैं, उनमें जिन लोगों को मैं निजी तौर पर उनके लेखन, उनके ब्लाग, उनसे परिचय होने के नाते जानता हूं, उनके अलावा जो लोग हैं, वे संयम बरतते हुए कुछ भी ऐसा नहीं लिखेंगे जिससे किसी ब्लागर या किसी पाठक को कोई कष्ट हो। भड़ास आज भी अपने मूल मंत्र पर कायम है कि अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिए, मन हलका हो जाएगा....इस मूलमंत्र से जाहिर है कि वही बात लिखिए जो आपके जीवन व विचारधारा के सुख दुख से जुड़ी हो और जिसे आप अभिव्यक्त नहीं कर पा रहे हों। इसमें अश्लील बातें भी आ सकती हैं लेकिन उनका एक सामाजिक संदर्भ व संदेश व निजी जीवन से कोई मतलब होना चाहिए। सिर्फ काल्पनिक व गपोड़ी सेक्स कहानियों को भड़ास के मंच पर डालना आपराधिक कृत्य होगा।

उम्मीद है मौके की नजाकत को देखते हुए आप सभी लोग भड़ास जैसे सबसे बड़े हिंदी ब्लाग की व्यवस्था बनाए रखने में मदद करेंगे और इसे बढ़ाने में दिल ओ जान से प्रयास करेंगे।

जय भड़ास
यशवंत
yashwantdelhi@gmail.com

5 comments:

Unknown said...

sahi hai..g

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

दादा,रमेश शर्मा जी की कहानी कविता तो मैंने देखी थी पर मुझे लगा कि हो सकता है ये ही बात इनके गले में टांसिल पैदा किए हो ,कह कर हल्के हो जाएंगे पर अब जो किया है वही सही है और सदस्यता के विषय में लिया नया निर्णय सभी को मान्य होगा इससे हमारा आपसी परिचय अधिक करीब का हो जाया करेगा....

Kumar Padmanabh said...

लेकिन जो लोग पहले से इसके मेम्बर हैँ उन लोगोँ के सत्यता को कैसे प्रमाणित करेँगे. क्या १००% विश्वास के साथ बोल सकते हैँ कि सभी कोई मेम्बर अपने छ्द्म रुम मे नही है. जबतक उन लोगोँ के सत्यता जाँच नहीँ कर लेते, या छुपकर गलत लिखने का क्रम जारी रहेगा, आप गन्दगी सफाई का दावा नही कर सकते हैँ. कोइ ना कोइ अनाम-दास गलती फैलाएँगे ही...

Anonymous said...

yah kaam bahut pahle ho jana chahiy
tha

Unknown said...

ha khattr kaka, jb jge tbhi sbera