Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

21.3.08

मोहल्ले में अब सियार बोल रहे.....बुरा न मानो होली है.....

भड़ास वाले चले खेलने होली
ये देखकर कईयों की फट गयी डोली

मैथिली भागे लेकर सिरिल को
खाते हुवे हार्ट अटैक की गोली
मुचुक मुचुक के आँख नचावे
निगलते हुवे मोहल्ले की हिंगोली

मोहल्ले में अब सियार बोल रहे
अविनाश करें सबसे हाथ जोड़ चिरोरी..
भाई आजा खेल लो....
मोरे अंगने में भी होली

कोई नही मिल रहा तो
कुछ भी लिख रहे
मुद्दा नहीं मिल रहा तो
दूसरों को नंगा कर रहे
खुद की फटी निगोड़ी
जोड़े कौड़ी कौड़ी

मार्कस बाबा की किरपा से
बहस की गाडी चलती रहेगी
खाते हुवे हिच्कोली
खेलो जमकर होली.....
बुरा न मानो है होली


चिरकुट प्रमोद मुंह में दाबे खैनी
खोज रहे फागुन में कोई
नयी नवेली हमजोली,
ताकि जमके खेले होली
जहाँ दिखे बाजार सजा
मजमा लगा
पहुंचे लगावें बोली
न मिले तो न मिले
अंत में दे दें दो चार गोली
गाली को गोली बता
लिख दें ये दस बीस पोथी
खेलो जमकर होली
बुरा न मानो है होली


मियाँ इरफान बने चिलांडू
करत रहें भड़ास की खोला खोली
ऐसा उलट के पड़ा जो उनके
सपने में बोलन लागे
हाय हाय की बोली
डॉ रुपेश इलाज करत हैं
बारी बारी से देके गोली

मन बौराए यशवंत का तो
खोज रहे हैं भौजी
क्यों नीलिमा जी, आप से ही
खेल लें थोड़ी सी होली
इक नीलिमा दो नीलिमा तीन नीलिमा
चार नीलिमा....हाँ जी
इनमे से ही कोई इक मान ले खुद को
अपन भड़ास की भौजी
कोई मुम्बई तो कोई दिल्ली वाली
हम तो इन्ही से सुनेंगे गाली
तो आवो मिलकर कहें हम सब
भौजी, रंग फेंक रहें हैं हम सब देवर
मन ही मन करो कबूल
अगर आ जाये गुस्सा तो
मत बन जाना बबूल

जोगी रा सा रा रा रा रा रा रा
होली है
बुरा न मानो होली है...

संजय तिवारी विस्फोट करेंगे
हो जायेगा प्रलय
अरुण अरोरा राजनीति करेंगे
हो जायेगा विप्लव

अनिल रघुराज जरुर लिखेंगे
हो जायेगी बहस
दे तेरी की ले तेरी की
करेंगे सब मच मच
अपन को साबित करने वास्ते
औरों को काटेंगे खच खच

दिलीप मंडल जो भी लिखेंगे
खूब मचेगी किच किच
अनाम नाम से धो डालेंगे
बन्दा करेगा फिच फिच

मसिजीवी को खूब मजा है
हर दल में हैं शामिल
प्यार से वार करत हैं
इतने नहीं हैं जालिम

(इसके आगे भी ढेर सारे नाम हैं, जिन पर कोई और लिख सकता हो तो लिखे....लेकिन केवल होली तक, क्योंकि होली तक है सब माफ़....जोगी रा सा रा रा रा रा रा))

जय भड़ास
यशवंत

1 comment:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

दादा,आपने तो भावनाओं का इंद्रधनुष उकेर डाला है ,और भड़ास भौजाई के रूप में नीले रंग की मां हमे भी स्वीकार हैं