जब अक्खा दुनिया सोती है तो मुंबई जागता है, ऐसा मुंबई वाले कहते हैं । मुंबई से जो बाहर रहते हैं वो इसे सुनते हैं और मानते हैं, मगर इनके जागने का क्या कारण है...... इनका मायानगरी होना, मायानगरी की चमक दमक, ग्लेमर को लुभाती रात या फ़िर कुछ और ????
दुनिया सोये या जगे, माया का पता लग सके.....
मायानगरी की माया तो ट्रेन है
मुंबई के स्टेशन बन्दों की दरगाह
लाइफलाइन यानी मुंबईरेल और स्टेशन यानी पल पल का जीवन
मुंबई का सच, रात को जगते ये माली कि मुंबई को दिन में खुशबू दे सकें।
ये एक सच उनके लिए जो मुंबई कि माया में जा के खो जाना चाहते हैं मगर हकीकत से अनजान. क्या इन तस्वीरों को हम अपने जीवन से आत्मसात कर सकते हैं ? क्या सरकार, प्रशासन के साथ आम जन के कर्त्तव्य की सीमा रेखा से परे हैं ?विचार विचार और सिर्फ विचार नहीं मित्र कार्य की दरकार है और ये मुंबई की कहानी नहीं हमारे हिन्दुस्तान की जुबान है. विकसित भारत, शक्तिशाली भारत, अणु और परमाणु वाला भारत मगर जिसकी रीढ़ की हड्डी ये तस्वीरें हैं. हमारे देश की हमारी तस्वीर।
जय जय भड़ास
3 comments:
शब्दचित्र तथा छायाचित्र दोनों बेहतर हैं.जैसा कि आपने लिखा है ये तस्वीरें केवल मुंबई की नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान की हकीकत हैं,एक नामचीन शायर के लफ्जों में-
भूख और गम का उनमान किसने लिख दिया
ये मेरे चेहरे पे हिंदुस्तान किसन लिख दिया
भाई एक चीज़ बता तू पत्रकार क्यूँ नही बन जाता. वैसे मस्त कोल्लेक्शन ऑफ़ द मोबाइल फोटोग्राफी. दुखी और सुखी to हर कोई है इस zahaan me पर कोई दूसरे के दुःख में दुखी हो यही जीने का मकसद होना चाहिए. आज तुमने ये तस्वीरें दिखाईं हैं. कल हो सकता है इनके सर पर छत हो.
कल हो सकता है इनके सर पर छत हो.
जो कि इनके सिर पर आसानी से गिर सके ताकि ये गरीब मर जाएं.... अरे जीने दो भाई ... खुले आसमान के नीचे... आजकल मुंबई में इमारतें खूब गिरती हैं... खबरदार जो रजनीश भाई को पत्रकार बनने की सलाह दी तो... वो जो हैं भले हैं क्यों रजनीश भाई लाला जी की नौकरी करोगे ??? अमित भाई दिला देंगे :)
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