Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

7.1.09

ये वही भड़ास है...

तक़रीबन साल भर पहले की बात है , गूगल पर कुछ सर्च कर रहा था , अचानक एक क्रन्तिकारी विचारों कों ख़ुद में समेट हुआ एक वेब पेज "भड़ास" खुल पड़ता है, एक से बढ़कर एक आलेख , कुछ कहने का बेबाक अंदाज़ और बिना किसी भय से बिंदास हर मुद्दे पर खरी खरी बात लिखने का अंदाज़ इतना प्रभावित कर गया की उस दिन, दिन भर वेब पेज के पुराने पन्नो को पढता रहा , फिर जब भी मौका मिलता " भड़ास " को जरूर पढता । बाद में पता चला मैं ख़ुद भी वेब पेज पे लिखसकता हूँ , सो मैं "भड़ास "की सदस्यता से जुड़ गया। पहली बार लिखा तो यशवंत जी, डॉ साहब और दुसरे भडासियों ने खूब प्रोत्साहन दिया, भड़ास से ही प्रभावित होकर मैंने ख़ुद का ब्लॉग भी बनाया । मौका जब भी मिलता मैं भी अपनी भड़ास जरूर निकालता । भड़ास द्वारा करुनाकर को बचाने के लिए चलाए गए अभियान ने तो यह साबित कर दिया की भड़ास ना सिर्फ़ भड़ास निकालने उगलने, का मंच है , बल्कि मानवीय मूल्यों से भी इसका सरोकार है । पर आज भड़ास को सिर्फ़ पंखों वाला भड़ास कह कर संबोधित किया जा रहा है , असली और नकली भड़ास की चर्चा हो रही है , कहा जा रहा है ये वो भड़ास नही जो हुआ करता था , पर उन लोगो को पता नही की भड़ास के ये पंखे ही भड़ास को ऊपर ले जायेंगे , ये पंखे ही उसे बुलंदियों तक ले जायेंगे।
आप अपने मंच से भड़ास निकालिए स्वागत है , पर सिर्फ़ इस की आलोचना को अपनी भड़ास मत बनाइये।
जय जय भड़ास ।

4 comments:

यशवंत सिंह yashwant singh said...

भाई, दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं। अगर हर आदमी एक जैसा हो जाए तो दुनिया मनोरम विविधता खत्म हो जाएगी और फिर विकास, ज्ञान, अनुसंधान ये सब रुक जाएगा। कहा गया है ना- मुंडे मुंडे मर्तिभिन्ना....। किसी के कुछ कहने पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। हम जो कर रहे हैं, उसे अगर खुद सही मानते हैं तो करते रहें, इससे बड़ा पैमाना कोई नहीं हो सकता। भड़ास नए साल में नए रचनात्मक प्रयोग करेगा, ये मेरा वादा है। हम लोगों ने जो नकारात्मक भड़ास अतीत में निकाली, उससे जो दिल व दिमाग साफ हुआ, उसी का नतीजा है कि हम लोग कुछ नए क्रिएटिव कर पा रहे हैं और न सिर्फ कर रहे हैं बल्कि कई लोगों को रोजगार देने की ओर बढ़ रहे हैं। नए साल में हम जैसे हिंदी पट्टी वाले देहाती साथी, खुद हिंदी के जरिए एक उद्यमी की तरह विकसित हों, इस चुनौती को स्वीकारना है। वरना हम किसी बौने आदमी के गुलाम बनकर दस बीस हजार रुपये महीने के लिए अपनी आत्मा का सौदा करते रहेंगे। जब कोई इंसान नए राह पर चलता है तो कई तरह की चुनौतियां आती हैं, मुश्किलें आती हैं। लेकिन इनसे निकलने के उपाय तलाशना भी हमारा ही काम है वरना जो मन से हार गया वो समझो आतमा से हार गया। विरोध और चुनौती आपको मजबूत बनाते हैं, आपको राह दिखाते हैं। मेरे साथ हमेशा ऐसा ही हुआ है। मेरा दिल साफ है, खुद के प्रति और अपने नए-पुराने सभी दोस्तों के प्रति। अगर इसके बावजूद किसी को कोई पीड़ा हो तो मैं क्या कर सकता हूं। मैं सिर्फ ईश्वर से प्रार्थना कर सकता हूं कि मेरी अच्छाइयां मत देखना, मेरी गल्तियों पर मुझे दंडित करना, उनकी गलतियों की तरफ देखना ही मत, उनकी अच्छाइयां के आधार पर उन्हें सरताज बना देना।

यशवंत

राजीव करूणानिधि said...

अखिलेश जी की भावना और यशवंत जी की सच्चाई प्रभावित कर गई. मुझे बेहद ख़ुशी है कि जिंदगी की रफ़्तार अब सही दिशा मे है. समाज को जोड़ने और शोषितों को न्याय दिलाने वाला भडास अब मजबूत हिन्दुस्तान बनाएगा, हिंदी को नयी पहचान दिलाएगा. भडास का मतलब होता है दिल मे अटकी हुई बातों को बाहर निकलना. कई बार ऐसा होता है कि भडास निकालते वक़्त कुछ अपशब्द भी जबान से फिसल जाया करती है. चुकी ये भडास है इसलिए माफ़ी के काबिल है. पर अपशब्द को ही भडास मान लेना और इसकी पुरजोर वकालत करना निहायत ही घटियापंथी है. खैर हिंदी के देश मे और आमजनों के दिल मे रहने वाले हमारे मित्र, भाई ने दोस्ती और भाईचारे की लाज रख ली. मैं गदगद हूँ. बधाई यशवंत जी को और अखिलेश जी को और ऐसे तमाम लोगों को जो सिर्फ सच की वकालत ही नहीं करते वरन इसके लिए जीते मरते हैं.
राजीव करुनानिधि

राजीव करूणानिधि said...

अखिलेश जी की भावना और यशवंत जी की सच्चाई प्रभावित कर गई. मुझे बेहद ख़ुशी है कि जिंदगी की रफ़्तार अब सही दिशा मे है. समाज को जोड़ने और शोषितों को न्याय दिलाने वाला भडास अब मजबूत हिन्दुस्तान बनाएगा, हिंदी को नयी पहचान दिलाएगा. भडास का मतलब होता है दिल मे अटकी हुई बातों को बाहर निकलना. कई बार ऐसा होता है कि भडास निकालते वक़्त कुछ अपशब्द भी जबान से फिसल जाया करती है. चुकी ये भडास है इसलिए माफ़ी के काबिल है. पर अपशब्द को ही भडास मान लेना और इसकी पुरजोर वकालत करना निहायत ही घटियापंथी है. खैर हिंदी के देश मे और आमजनों के दिल मे रहने वाले हमारे मित्र, भाई ने दोस्ती और भाईचारे की लाज रख ली. मैं गदगद हूँ. बधाई यशवंत जी को और अखिलेश जी को और ऐसे तमाम लोगों को जो सिर्फ सच की वकालत ही नहीं करते वरन इसके लिए जीते मरते हैं.
राजीव करुनानिधि

Anonymous said...

yaswant ji sachmuch ap ka andag nirala hai