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11.2.09

nara nahi janta ko kam chahiye

कब तक देंगे गरीबी हटाओ का नारा
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चुनावों में नारों की हमेशा भूिमका रही है। पर नारों में अगर कुछ नयापन न हो तो लोगों पर इसका असर कम होता है। देश के िहंदी हाटॆलैंड में तो नारों की भूिमका हमेशा रही है। कई बार तो नारों ने देश की राजनीित की तसवीर ही बदल दी। पर नारों में नयापन था इसिलए राजनीित की तसवीर बदली। मसलन एक नारा १९७७ में लगा---जब कट रहे थे कामदेव तुम कहां था रामदेव-----। उस दौरान ही कई नारे और आए। १९८० में एक नारा लगा--यह देखो जनता का खेल १४ रुपए कड़ुआ तेल---। इस नारे ने काफी हद िबहार और यूपी में गैर कांगरेसी सरकारों को उखाड़ फेंका। एक बार िफर कांगरेस सता में आ गई। जब १९८९ मंे एक बार िफर देश में गैर कांगरेसवाद की लहर आयी तो कई नए नारे आए। इन नारों के मुखय केंदर थे पूवॆ पीएम वीपी िसंह। पूरे देश में नारा लगा--- राजा नहीं फकीर है भारत की तकदीर है----। उस समय मैं इलाहाबाद िवशविवदालय में बीए का सटूडेंट था। वीपी िसंह की दौरे की शुरूआत इलाहाबाद से से हुई थी और मैं अनुगरह नारायण िसंह(िफलहाल इलाहाबाद उतरी से कांगरेसी िवधायक)और मोहन िसंह(िफलहाल देविरया से सपा के सांसद) के कािफले में नारे लगाते हुए रेलवे सटेशन तक गया था। छातरों का िवशाल हुजूम वीपी िसंह के सवागत में उमड़ा था। यहीं से िफर देश में गैर कांगरेसवाद का एक और युग शुरू हुआ जो आज तक खतम नहीं हुआ। पर इसमें भी नारों का भारी रोल था। कई नारे सामने आए और कांगरेस के पांव उखड़ते गए। जब देश में मंडलवाद का दौर आया तो लालू यादव ने नारा िदया--भूरा बाल साफ करो-----। इसके बाद उनहोंने इसमें आगे संशोधन करते हुए एक और नारा िदया-- भूिमहार को साफ करो,पंिडत को हाफ करो,लाला तो साला है,राजपूत को माफ करो-----। इस नारे ने भी िबहार में राजनीित की िदशा बदल दी। कांगरेस का जो बुरा हाल हुआ वो सारे देश ने देखा। इस दौरान बातों और नारों के सहारे राजनीित करने वाली पारटी भाजपा ने भी जम कर नारों का इसतेमाल िकया। इनके नारों ने भी लोगों को परभािवत िकया। नारे थे--ए पारटी िवद िडफरेंस---।---आप हमें वोट दीिजए,हम आपको देंगे राम,रोटी और इंसाफ। इसका मतलब भी समझाया गया। राम का मतलब भय से मुिकत। रोटी का मतलब आभावों से मुिकत। इंसाफ का मतलब भेदभाव से मुिकत। इन नारों ने भाजपा की तरफ जनता का झुकाव बढ़ाया।अगले दो महीनें में एक बार िफर कांगरेस गरीबी हटाओ के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है। उनके सटार कैंपेनर होंगे राहुल गांधी। अपरैल-मई में होने वाले चुनावों में कांगरेस इस सटार कैंपेनर और गरीबी हटाओं के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी। पर अहम सवाल यह है िक गरीबी हटाओ का नारा इस देश में कांगरेस िकतनी बार देगी? बीते साठ सालों में पचास साल सता तो कांगरेस के हाथ में ही रही। पचास साल में कांगरेस ने गरीबी नहीं हटाया तो अब कया हटाएगी? यह नारा थोथा है। इससे शायद ही जनता परभािवत हो। अब उदाहरण लीिजए। िजस लोकसभा हलके से राहुल गांधी जीत कर आते है वहां गरीबी हटाओ के नारे को िकतना अमल में लाया गया? उनकी माता सोिनया गांधी के लोकसभा हलके राय बरेली में िकतनी गरीबी हट गई? अमेठी राहुल गांधी से पहले इनके िपता राजीव गांधी का चुनावी हलका था। राजीव गांधी से पहले राहुल के चाचा संजय गांधी यहां से चुनाव लड़ते थे। जबिक राय बरेली से सोिनया गांधी से पहले इंिदरा गांधी चुनाव लड़ती थी। ये दोनो इलाके देश के िपछड़े इलाकों में से एक है। इन दोनों इलाके के लोग माइगरेंट मजदूर के तौर पर िदलली,चंडीगढ़,लुिधयाना,अहमदाबाद,कोलकाता,मुंबई जैसे शहरों में िमल जाएंगे। अब सीधा सवाल उठता है िक आिखर जब कांगरेस पारटी के मुिखया अपने चुनावी हलकों की गरीबी नहीं हटा सके तो पूरे देश की गरीबी कैसे हटाएंगे? हाल ही में अखबारों में एक िदलचसप फोटो छपा। इस फोटो में राहुल गांधी के साथ इंगलैंड के िवदेश सिचव भी थे। दोनों ने दिलत मिहला के घर रात गुजारी और उसकी दयनीय िसथित को देखा,समझा और महसूस िकया। इस तसवीर को छापी गई और अखबारों में कांगरेस के युवराज को जोरदार शाबाशी िमली। इस तसवीर का दूसरा पहलू भी है। राहुल गांधी ने इससे कई मैसेज देने की कोिशश की। एक मैसेज तो यह था िक उनहोंने पहली बार वो काम िकया है जो उनके िपता राजीव गांधी और दादी इंिदरा गांधी ने नहीं िकया। राजीव गांधी और इंिदरा गांधी ने कभी िकसी दिलत के घर रात नहीं गुजारी। उनके दरद को नहीं समझा। कम से कम इस मामले में वो अपने िपता और दादी से अलग है। पर इससे जनता के बीच एक मैसेज और गया जो शायद इस देश की मीिडया जनता को देना नहीं चाहती। कयोंिक इससे युवराज की गिरमा को चोट पहुंच सकती है। िजस गरीब-गुरबा के घर राहुल गांधी ने पूरी रात गुजारी उसकी इस गरीबी के िलए िजममेवार कौन है?इस देश में बीते पचास सालों में शासन िकसने िकया?अब पचास साल बाद इस गरीब दिलत मिहला की याद कांगरेस को कयों आयी? कया यह चुनावी सटंट नहीं है?िजस मुसिलम,दिलत और पंिडत समीकरण पर कांगरेस ने पचास सालों तक राज िकया उसमें से एक दिलत बेचारों का हाल अभी भी कयों बेहाल है?िफर िजस दिलत मिहला के घर राहुल गांधी गए,वो कोई आम दिलत मिहला नहीं थी। वो तो उस लोकसभा हलके से संबंध रखती थी िजसकी बागडोर कांगरेस के तीन युवराज,संजय गांधी,राजीव गांधी और राहुल गांधी ने संभाली। कहीं एेसा तो नहीं िक मायावती नामक दिलत मिहला के सता में आने के बाद अमेठी की इस दिलत मिहला की िकसमत खुल गई?कांगरेस के युवराज उसके घर पधारे।िजस दिलत मिहला िशवकुमारी कोरी के घर राहुल गांधी गए उसका घर अमेठी लोकसभा हलके के िसमरा गांव में है। कोरी के अनुसार तीस से चालीस रुपये िदहाड़ी वो कमाती है और इसी से अपना घर चलाती है। जब युवराज पहुंचे तो शायद उसके घर खाने के िलए कुछ भी नहीं था। उनके साथ इंगलैंड के िवदेश सिचव डेिवड िमिलबैंड ने भी इस दुिखयारी की दीनदशा देखी। पर सवाल उठता है िक इस गरीब दिलत मिहला की इस हालत के िजमेवार कौन है?कम से कम मायावती को तो इसके िलए िजममेवार नहीं ठहरा सकते? अनय दिलत मिहलाओं की गरीबी की िजममेवार मायावती नहीं हो सकती? शायद इस दिलत मिहला की खराब हालत के िलए डेिवड िमिलबैंड भी िजममेवार न हो िजनके पुरखों ने इस देश को दो सौ साल गुलाम रखा? यह सचचाई है िक सिदयों से ये शोषण के िशकार हुए और इसके िलए िजमेवार हम सब है। इनकी खराब हालत के िलए वे युवराज भी िजममेवार है िजनके पिरवार ने ही इस देश पर पचास सालों तक राज िकया। पचास साल तक उनका वोट तो लेते रहे पर उनकी दीन-हीन हालत को सुधारने के िलए कोई कदम नहीं उठाया।राहुल गांधी िनिशचत तौर पर आगामी लोकसभा चुनाव में सटार कैंपेनर होंगे। पर िपछले पांच साल भी तो वे सटार कैंपेनर रहे है। यूपी में िवधानसभा चुनावों से पहले उनहोंने जोरदार रोड शो िकया। पर पिरणाम वही आए। कांगरेस बुरी तरह से हारी। गुजरात िवधानसभा चुनावों से पहले वहां भी रोड शो िकया। वहां भी बुरी तरह से हारे। यािन की कांगरेस के युवराज अभी जनता की पसंद नहीं बने है। बेशक उनहोंने िवदरभ की कलावती का दरद समझा,बुंदेलखंड के िकसानों के साथ दुख-दरद बांटा,िशवकुमारी के घर रात िबताया। समय अब बात करने या नारा देना का नहीं,काम करने का है। िकतने साल तक आप देश की जनता को बेवकूफ बनाएंगे। खोखले नारे देने से कया होगा?लोगों को अब काम चािहए।कांगरेस के बलाक,िजला औऱ परदेश अधयछों के सममेलन में गरीबी हटाओं के नारे से तो देश में गरीबी नहीं हटेगी। नई िदलली में नारा देने से दूर-दराज के गांवों में तो लोगों का भला नहीं होगा। सोिनया गांधी कम से कम अपने परितिनिधयों से यह तो पूछ ही सकती थी िक देश के कई िहससों में नकसली आंदोलन के बढ़ते परभाव का कारण कया है? कम से कम िबहार,झारखंड और छतीसगढ़ के कांगरेस नेताओं को तो इसकी जानकारी है ही। अगर पचास सालों में गरीब हट गई होती तो नकसिलयों का परभाव इतना नहीं बढ़ता। आज १५० से जयादा िजले इनके परभाव में है। आज िसथित यह है िक सोिनया गांधी की ससुराल इलाहाबाद भी नकसली परभाव में आ चुका है। बात साफ है िक अगर गरीबी पहले हट गई होती तो यह िसथित ही नहीं आती। अब एक बार िफर गरीबी हटाओ के नारे के साथ देश को कयों बेवकूफ बना रहे है?

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