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3.1.10

आधुनिक भिखारी

एक भिखारिन ने आवाज लगाई
माँ घर से निकल कर बाहर आई
भिखारिन बोली कुछ दे दो खाना
माताजी बोली बाद में आना
बह बोली क्या अभी खाना मना है
माँ बोली नहीं अभी खाना नहीं बना है
जब बन जाएगा मैं तुझे दे दूंगी
वह बोली क्यो आप परेशान होगी
मेरा सेल नं. ले लो मुझे SMS कर देना
मैं खुद आकर ले लूंगी।

आयुष मिश्रा कक्षा 8
मेरा पुत्र

5 comments:

Unknown said...

bahut accha

रामकृष्ण गौतम said...

Vaah! Saab... Bachchha Badhia likhta hai.. God Bless Him...

dr amit jain said...

बहुत बढ़िया ,
बच्चा बड़ा हो कर सभी के कान जरूर काट लेगा ,
अभी से ये हाल है तो बड़ा हो कर न जाने किसे किसे बेहाल करेगा

मनोज कुमार said...

वाह नन्हां कवि तो बहुत अच्छी कविता लिखते हैं। लिखते रहें। आशीष।

Anonymous said...

सुंदर - आयुष को शुभकामनाएं