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4.1.10

गम भारी ख़ुशी पर

तमाम खुशियों पर
भारी है
तेरी
जुदाई का गम,
मिलने के
सारे के सारे
जतन
पड़ गए कम,
हो सके तो
चले आना
मेरी ओर,
निकलने को है
अब मेरा दम।

2 comments:

Anonymous said...

नारद जी क्या कर रहे हैं - एक बार बन्दर बने थे, अब क्या विचार है?

Crazy Codes said...

maja aa gaya... narayan narayan...