तमाम खुशियों पर
भारी है
तेरी
जुदाई का गम,
मिलने के
सारे के सारे
जतन
पड़ गए कम,
हो सके तो
चले आना
मेरी ओर,
निकलने को है
अब मेरा दम।
4.1.10
गम भारी ख़ुशी पर
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
तमाम खुशियों पर
भारी है
तेरी
जुदाई का गम,
मिलने के
सारे के सारे
जतन
पड़ गए कम,
हो सके तो
चले आना
मेरी ओर,
निकलने को है
अब मेरा दम।
2 comments:
नारद जी क्या कर रहे हैं - एक बार बन्दर बने थे, अब क्या विचार है?
maja aa gaya... narayan narayan...
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