****यौवन को अंगार बना दो
क्रांति की नई मशाल जगा दो,
नस नस में एक ज्वाला भर दो,
नई क्रांति का ऐलान कर दो,
भ्रष्टाचारी इस देश से भागें,
नेता सोये नीद से जागें,
रिशवत का निजाम बदल दो,
देश द्रोही का अंजाम बदल दो,
आपस में लडवाने वाले,
भाषण दे भडकाने वाले,
ऐसे नेता पंडे और मौलवी,
ये दुश्मन हिंदुस्तान के सभी,
मत इनके बहकावे आयो,
नफरत के तुम गीत न गाओ,
हम भारत के नौ जवानों,
अपनी ताकत को पहचानो,
हम ने ही अंग्रेज भगाए,
हम ही तो आजादी लाये,
नया सवेरा इस देश में अब भी हमें ही लाना है,
गद्दी के गद्दारों को इस देश से दूर भगाना है,****
21.12.10
****यौवन को अंगार बना दो*****
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7 comments:
वाह!देशप्रेम से ओत-प्रोत एक बेहद सशक्त रचना देशभक्ति को प्रेरित करती है।
Rakesh ji bahut hi achi kavita hai 2 good.
gaddaron ko dash se bhagana nahi .....unhe to fansi par chadana hai .josh se labalab kavita .badhai .mere blog ''vikhyat ''par aapka hardik swagat hai .
karante ka udgosh karo yaro ...kay aap tayar hai karanti k leya?
karanti ki ranbhri ka de ha dosto
bahut khub rakesh bhai.......... nice poem
वन्दे मातरम दोस्तों,
बंदना जी, आलोकित जी,शिखा कौसिक जी, मुरार जी नवीन भाई जी होसला अफजाई के लिए आपका धन्यवाद,
भाई मुरार जी मैं तो क्रांति के लिए हर तरह से तैयार हूँ बस आपसे कुछ और दोस्तों का साथ आना अभी बाकि भी है और जरूरी भी
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