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22.12.10

सिर्फ और सिर्फ मैं

सिर्फ और सिर्फ मैं ................
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे साथ
मैं ....
चांदनी रात में,
समंदर किनारे ,
गीली रेत पर बैठकर ,
भर लेना चाहती हूँ
आँखों में अपनी तेरे चेहरे का नूर और ......
लेकर हाथो में हाथ ,
चलना चाहती हूँ ,
तेरे कदमो के निशान से ,
अपने कदम मिलाकर
बहाँ जहाँ डूबता हे सूरज सागर में कही दूर ,
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे साथ
मैं ................................
संगीता मोदी "शमा"

5 comments:

Dr Om Prakash Pandey said...

bahut hee sundar !

babanpandey said...

बहुत सुंदर ...
कभी मेरे ब्लॉग पर भी आये /
आज मेरी भी एक रचना चर्चा मंच पर थी /

babanpandey said...

बहुत सुंदर ...
कभी मेरे ब्लॉग पर भी आये /
आज मेरी भी एक रचना चर्चा मंच पर थी /

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत एहसास

अनामिका की सदायें ...... said...

khoobsoorti se daal diya man ke ehsaaso ko kavita ke roop me.