जो दरवाजा बंद करके बैठे थे वो लाल जाजम बिछा रहे हैं
ये अमेरिका और वहां के राजनेता अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए बिना पेंदे के लोटे की तरह लुढकते हैं .२००२ के गुजरात दंगे की प्रतिक्रिया में अमेरिका ने नरेन्द्र मोदी को अमेरिका में आने का वीजा नहीं दिया ,दरवाजे बंद कर दिए .उस समय यह देश और गुजरात का अपमान था लेकिन सच्चाई आखिर सामने आती है .हमारे देश की सर्वोच्च अदालत ने जब इस मामले को वापिस निचे की अदालत में भेज दिया तो अमेरिकन कमिटी के कान खड़े हो गए होंगे . इस फेसले के तुरंत बाद श्री मोदी के गुणगान करने शुरू कर दिये .हम गुजरातियों को अब अमेरिकन प्रमाणपत्र की जरुरत कहाँ है ? यदि अमेरिकन संसद कमिटी नरेंद्र मोदी के विषय में राय बदलती है और खुद के देखने के नजरिये को बदलती है तो भी ज्यादा ख़ुशी नहीं है क्योंकि जिस सच को आम गुजराती १0वर्षों से बहुमत से कह रहा है वह उन्हें अब समझ आया है ..खेर देर आये दुरस्त आये .
1 comment:
क्या करें? गुलामी हमारे खून में घुस चूका है. हमारी किसी भी श्रेष्ठता का भान हमें तबतक नहीं होता जब तक की गोरी चमड़ी वाले उसका बखान न कर दें. उदाहरण कई हैं, योग योगा हो गया, आयुर्वेद आयुर्वेदा हो गया.
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