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7.9.11

बधाई हो नपुसंक सरकार को इक और आतंकी हमला दिल्ली पर ?




"image from deccanchronicle.com & indianewslines.com  with thanks"

दिल्ली की हाईकोर्ट में हुआ बम विस्फोट के रुप मे आतंकी हमला सरकार की नपुंसकता का जीता जागता नमूना है , सरकार कहती है हम आतंकवाद के प्रति सख्त है परंतु आतंकवादियों पर नर्म है अफजल गुरु को हम फांसी दे नही सकते और अजमल कसाव हमारा दामाद है उसको हम हैदराबाद की बिरयानी तो खिला सकते है पर फांसी नही दे सकते क्योंकी वो इक मुसलमान है ,यदि उसको फांसी देते है तो देश में दंगे होने की आशंका है "हमारा मुसलिम वोट बैंक घट जायगा ",अरे भाई इसके बद्ले सरकार ये क्यों नही कहती कि वो आतंक का विरोध तो करना चाहती है पर आतंकवादियों का विरोध नही कर सकती पालो भाई पालो आस्तीन में सांप वे इसी तरह भारत मां के सीने पे लोटते रहेगे उसके बच्चों को डसते रहेगे .

4 comments:

रविकर said...

खून में लटपटाय
चहुँ-ओर हाय-हाय, हाथ-पैर खोय-खाय
खून में लटपटाय, मरा या बेहोश है |

नहीं काहू से डरत, बम-विस्फोट करत,
बेकसूर ही मरत, करे जय-घोष है |

टका-टका बिकाय के, ब्रेन-वाश कराय के,
आका बरगलाय के, रहा उसे पोस है |

पब्लिक पूरी पस्त है, सत्ता अस्त-व्यस्त है
सरपरस्त मस्त है, मौत का आगोश है ||

Mirchi Namak said...

रविकर भाई इस नपुंसक सरकार को मर्द बनाने का कोई उपाय हो तो अवश्य बतायें ।

EARNING HUB said...

AATANKIO KA KOI DHARM HOTA BHI HAI KYA?MAI NHI SAMJHTA.NAAM BHALE HI MUSALMAN KA HAI TO KYA HUA,YE MOHAMMD KE UMMAT KABHI NHI HO SAKTE.KIYOKI VE TO KABHI KISI KO TAKLIF DIYA HI NHI,DUKH UTHAYA BHALE HI.KAHA HAI KI AGAR KISI NE BHI KISI TAKLIF YA DARD PAHUCHAYA WO MERA UMMAT NHI HO SAKTA.KISI KO TAKLIF NA PAHUCHANE WALA HI SACHHA MUSALMAN HAI.

Mirchi Namak said...

हमारी आवाज वाले भाई साहेब आप कह रहे है कि आतंकियों का कोई धर्म नही होता पर आप इस बात को कैसे गलत कहेगे कि आतंक का पोषक करने वाले
विश्व में सबसे ज्यादा मुसल्मान ही क्यों होते क्या उनको और कोइ काम नही होता आखिर किस आधार पे उनका समर्थन देश के मुसलमान करते है क्यो उनके समर्थन मे धरने परदर्शन वर्ग विशेष द्वारा किया जाता है उनके लिये क्यो चंदा इकट्ट्टा किया जाता है
क्यो गंगा जमुनी तह्जीब कि बात करने वाले मौका मिलते ही गला काट्ने पे उतारु हो जाते है सौ हिन्दुओं के बीच में इक मुसल्मान आसानी से रह सकता है पर सौ मुसल्मानों के बीच में इक हिन्दु नही रह सकता आखिर क्यौ क्या ये आतक के समर्थक नही आपके जवाब के इन्तजार में .