"ज़ी न्युज से साभार"
इक बेचारा फंस गया जाल में संसद के माननीय संसद अमर सिहं कैश फार वोट मामले में काग्रेस की
सरकार बचाने वाले आखिर आ गये कानुन के फंदे मे , बचपन का सुना हुआ गाना याद दिला गया
"सौ रुपये की घडी चुरायी अब तो तिहाड जेल में जाना पडेगा जेल का पानी पीना पडेगा जेल की रोटी खानी पडेगी"
जय हो भारत देश की सुप्रीम अदालत जिसने अमर सिहं को उनकी असली जगह दिखायी जय हो देश की
अदालत की.....
4 comments:
व्यर्थ सिंह मरने गया, झूठ अमर वरदान,
दस जनपथ कैलाश से, सिब-बल अंतरध्यान |
इतना रुपया किसने दिया ?
फुदक-फुदक के खुब किया, मारे कई सियार,
सोचा था खुश होयगा, जन - जंगल सरदार |
जिन्हें लाभ वे कहाँ ??
साम्यवाद के स्वप्न को, दिया बीच से चीर,
बिगड़ी घडी बनाय दी, पर बिगड़ी तदबीर |
परमाणु समझौता
अर्गल गर गल जाय तो, खुलते बन्द कपाट,
जब मालिक विपरीत हो, भले काम पर डांट |
हम तो डूबे, तम्हें भी ---
दुनिया बड़ी कठोर है , एक मुलायम आप,
परहित के बदले मिला, दुर्वासा सा शाप |
मुलायम सा कोई नहीं
खट मुर्गा मरता रहे, अंडा खा सरदार,
पांच साल कर भांगड़ा, जय-जय जय सरकार |
AMAR SINGH KO JOR KA JHATKA BADI DERI SE LAGA .JAI HO !
कभी तो ये भी होना ही था
आप सब के सुविचारों के लिये कोटि कोटि धन्यवाद।
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