हिन्दी मे ही सुभीता है हिन्दी का अर्चन वन्दन है भाषा मे यह चन्दन है सौरभ इसका फैल रहाघर घर मे अभिनन्दन है यह सबकी अभिव्यक्ति हैअपने देश की शक्ती है इस भाषा को देखो तोप्यार ही प्यार छ्लकाति है यह ममतामयी लोरी हैभारत मा की छोरी है इसका बन्धन कहलाताअखन्डता की डोरी है यह कवियो की कविता हैरामायन और गीता है अंग्रेजी मे चकाचौन्ध हैहिन्दी मे ही सुभीता है
12.9.11
हिन्दी का अर्चन वन्दन
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1 comment:
हिंदी की जय बोल |
मन की गांठे खोल ||
विश्व-हाट में शीघ्र-
बाजे बम-बम ढोल |
सरस-सरलतम-मधुरिम
जैसे चाहे तोल |
जो भी सीखे हिंदी-
घूमे वो भू-गोल |
उन्नति गर चाहे बन्दा-
ले जाये बिन मोल ||
हिंदी की जय बोल |
हिंदी की जय बोल |
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