Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

15.3.21

न्यूज़18 हिंदी डॉटकॉम के संपादक दया और मैनेजर पीयूष एक घिनौनी परंपरा की नींव डाल रहे हैं

अमरेंद्र किशोर-

 न्यूज़18 हिंदी डॉटकॉम के संपादक दया शंकर मिश्र और मैनेजर पीयूष बबेले एक घिनौनी परंपरा की नींव डाल रहे हैं। ये दोनों नेटवर्क18 में काम करने वालों से इस्तीफ़ा जबरन  SMS पर माँग रहे हैं। उनसे अपने मनमाफ़िक भाषा में इस्तीफ़ा लिखवा रहे हैं। ये दबी जुबान में सैलरी में दिक्कत आने की भी धमकी दे रहे हैं। दोबारा न्यूज़18 में नौकरी पाने में समस्या आने की भी धमकी दे रहे हैं।


किसी भी कंपनी के पास किसी को नौकरी पर रखने और निकालने का अधिकार होता है लेकिन SMS पर इस्तीफ़ा लेने का चलन किसी भी लिहाज से सही नहीं है। आगे चलकर अगर sms की यह पद्धति परम्परा बन गई तो बहुत सी समस्याओं को जन्म देगी।  दया ने HR को भी भेड़ बना कर अपने अनुसार काम करने पर मजबूर कर दिया है।

इनको जिनसे इस्तीफ़ा लेना होता है, उन्हें सबसे पहले ऑफिसियल व्हाट्सएप्प ग्रुप से रिमूव करवाते हैं उसके साथ उनका ईमेल और ईएसएस डीएक्टिवेट करवा देते हैं ताकि ये अपनी आवाज़ ऊपर के अधिकारी और साथ काम कर रहे लोगों तक न पहुंचा सकें।

हैरानी की बात यह है कि ये गूगल मीट पर वीडियो का  विकल्प बंद कर इस्तीफ़ा मांगते हैं। इन्हें यह डर सताता है कि कहीं कोई स्क्रीनशॉट न लगा दे। ये अपने सहयोगियों से नार्मल कॉल पर बात नहीं करते हैं, क्योंकि ये इस बात से डरते हैं कि कहीं कोई रिकॉर्ड न कर ले और इनके कुकर्म  वायरल न हो जाएं । ये सभी को व्हाट्सएप्प कॉल करते हैं जिसमें कॉल रिकॉर्ड का ऑप्शन नहीं होता है।  

वायरल की पीत पत्रकारिता करनेवाले ये लोग खुद के वायरल होने से डरते हैं। दुखद यह है कि दया रोजाना जीवनसंवाद लिखकर मानवीय दिखने का ढोंग करते हैं पर जीवन में स्तरहीन  व्यवहार करते हैं और संवाद से कोसों दूर भागते हैं।

इस विषय पर एडिटर्स गिल्ड, पत्रकार यूनियन और साथी वरिष्ठ पत्रकारों को संज्ञान लेना चाहिए और सार्थक कदम उठाना चाहिए।

1 comment:

आईना said...

यह दया मिश्र टिक्की धारी से पूछिए की, संस्थान इनके पिता की जागीर है या फिर मालिकान के घर इनकी अम्मा की रसोई, खुद के घर अनाज का ठिकाना नही चले है दूसरों के पेट पर लात मारने। ऐसे ब्राह्मणों से इंडस्ट्री में गंध है। सबको लात मारिए और यूपी बिहार वाले कमीने किस्म के टिक्की धारियों को उनकी औकात बताने की वक्त है। पूरी पीढ़ी हाथ फैलाकर दो जून की रोटी का मांगता रहा और आज राजा बनकर रोटी छीनते हो, शर्म नहीं आती। इनको गरीब ब्राह्मण कहने वालों को भी धिक्कार है। ई मिश्रा, मिश्र, झा, पाठक, टाइप जितना है इंडस्ट्री में सबको ताल मारिए तभी देशभर के बाकी लोगो को शांति से काम करने का अवसर मिल सकेगा।